: १६ : आत्मधर्म : २०८
नथी. व्यक्ति अगणित होय छे, तेओनी जीवनघटनाओनो तो पार नथी तेथी ते पंचांगमां के ज्योतिषना
ग्रंथोमां लखी पण शकाती नथी. तो पण तेमां प्रकृति अने ज्योतिष मंडळना अध्ययनथी कांईक एवुं तथ्य
(सत्य) संकलित करवामां आवे छे के जेना आधारे प्रत्येक व्यक्तिनी आगामी खास घटनाओनो पत्तो
लागी जाय छे; तेथी प्रत्येक व्यक्तिना जीवनमां जे कोई खास घटना बने छे के जे ते व्यक्तिनी जीवनधाराने
ज बदली दे छे. तेने अकस्मात कही शकातो नथी. जोवामां ते अकस्मात भले लागे पण ते पोताना
नियतक्रममां अंतर्गत ज थाय छे.
प आवा विचारवाळी व्यक्ति तेना समर्थनमां केटलांक शास्त्रीय उदाहरण पण रजु करे छे;–प्रथम
उदाहरण आपतां तेओ एम कहे छे के ज्यारे भगवान ऋषभदेव आ पृथ्वीतळ पर बिराजमान हता त्यारे
तेओए मरिचीना संबंधमां एवी भविष्यवाणी करी हती के ते आगामी तीर्थंकर थशे अने ते थया पण खरा.
बीजु उदाहरण तेओ द्वारिकाना दाहनुं रजू करे छे. आ भगवान नेमिनाथने केवळज्ञान उत्पन्न थया पछीनी
घटना छे. तेओए केवळज्ञानथी जाणीने एक प्रश्नना उत्तरमां कह्युं हतुं के आजथी बार वर्षना अंते मदिरा
अने द्वीपायन मुनिना योगथी द्वारिकादाह थशे; अने ते कार्य पण तेमनी भविष्यवाणीने अनुसार थयुं. आ
भविष्यवाणीने विफळ करवाने माटे यादवोए कोई पण प्रयत्न बाकी राख्यो नहोतो परंतु तेमनी
भविष्यवाणी सफळ थई ज.
६ त्रीजुं उदाहरण ते श्रीकृष्णना मृत्युनुं रजू करे छे; –श्रीकृष्णनुं मृत्यु भगवान नेमिनाथे
जरतकुमारना बाणना योगथी बताव्युं हतुं. जरतकुमारे तेने घणुं टाळवा ईच्छयुं. ए कारणे ते पोताना
घरबार छोडी जंगले जंगल भटकता फर्या परंतु अंते जे थवानुं हतुं ते थयुं ज...क््यांय भगवाननी
भविष्यवाणी विफळ (खोटी) थई शकवानी हती?
७ चोथुं उदाहरण तेओ अंतिम श्रुतकेवळी भद्रबाहुनुं रजू करे छे. ज्यारे भद्रबाहु बाळक हता त्यारे
तेओ पोताना बीजा साथीओनी साथे जे समये गोळीओथी रमी रह्या हता ते समये विशिष्ट निमित्तज्ञानी
एक आचार्य त्यांथी नीकळ्या; तेओए जोयुं के बाळक भद्रबाहुए पोतानी बुद्धिकुशळताथी एकनी उपर एक
एवी रीते १४ गोळीओ चढावीने पोताना साथी सर्व बाळकोने आश्चर्यचक्ति करी दीधा हता. ए जोई
आचार्ये पोताना निमित्तज्ञानथी जाणीने एवी भविष्यवाणी उच्चारी के आ बाळक ११ अंग अने १४
पूर्वना पाठी अंतिम श्रुतकेवळी थशे. तेमनी ए भविष्यवाणी सफळ (साची) थई.
८ पुराणोमां चक्रवर्ती भरत अने चंद्रगुप्त सम्राटना स्वप्न आलेखवामां आव्या छे त्यां तेनुं फळ पण
लखवामां आव्युं छे.
९ तीर्थंकर गर्भमां आवे ते पहेलां तेमनी माताने जे १६ स्वप्न देखवामां आवे छे ते पण गर्भमां
आववावाळा बाळकना भविष्यना सूचक मानवामां आव्यां छे.
१० ते सिवाय पुराणोमां अगणित जीवोना भविष्यवृतांतनी संकलना करवामां आवी छे. जेमां
बताव्युं छे के कोण, क््यारे, कई पर्याय धारण करी क््यां क््यां उत्पन्न थशे.
११ ए बधुं शुं छे? तेमनुं कहेवुं छे के जो दरेक व्यक्तिनो जीवनक्रम सुनिश्चित न होय तो
निमित्तशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र या अन्य विराट १ज्ञानना आधारथी ए सर्वे केवी रीते जाणवामां आवी शके?
१र तेथी भविष्य सम्बंधी घटनाओ थवा पहेलां ज ते जाणी लेवामां आवे छे एवो शास्त्रोमां उल्लेख
छे अने वर्त्तमानमां पण एवां विज्ञाननां उपकरण साधन
१. सम्यक्श्रुतज्ञान–अवधिज्ञान–मनःपर्ययज्ञान अने केवळज्ञान विशद–निर्मळ:–स्पष्टज्ञान.