महा : २४८७ : ७ :
१२. ते ज शास्त्रमां कलश २३ छे तेनो अर्थ नीचे प्रमाणे छे :–
द्रशि–ज्ञप्ति–वृत्ति स्वरूप (दर्शन ज्ञान चारित्ररूपे परिणमतुं) एवुं एक ज चैतन्य सामान्यरूप निज
आत्मतत्व ते मोक्षेच्छुओने (मोक्षनो) प्रसिद्ध मार्ग छे; आ मार्ग विना मोक्ष नथी.
प
१३. पंडित प्रवर श्री टोडरमलजी ‘मोक्षमार्ग प्रकाशक’ नामना तेमना शास्त्रमां लखे छे के–
“हवे मोक्षमार्ग तो कांई बे नथी. पण मोक्षमार्गनुं निरूपण बे प्रकारथी छे. ज्यां साचा मोक्षमार्गने
मोक्षमार्ग निरूपण कर्यो छे ते निश्चयमोक्षमार्ग छे; तथा ज्यां जे मोक्षमार्ग तो नथी परंतु मोक्षमार्गनुं निमित्त
छे–वा सहचारी छे. तेने उपचारथी मोक्षमार्ग कहीए ते व्यवहार मोक्षमार्ग छे कारणके निश्चय व्यवहारनुं सर्वत्र
(चारे अनुयोगोमां) एवुं ज लक्षण छे; अर्थात् साचुं निरूपण ते निश्चय तथा उपचार निरूपण ते व्यवहार.
१४. माटे निरूपणनी अपेक्षाए बे प्रकारे मोक्षमार्ग जाणवो पण एक निश्चयमोक्षमार्ग छे तथा एक
व्यवहार मोक्षमार्ग छे एम बे मोक्षमार्ग मानवा मिथ्या छे.
१प. वळी ते निश्चय–व्यवहार बंनेने उपादेय माने छे ते पण भ्रम छे, कारणके निश्चय–व्यवहारनुं
स्वरूप तो परस्पर विरोधता सहित छे. श्री समयसार (गा.११) मां पण कह्युं छे के–
‘ववहारोऽंभूयत्थो भूयत्था देसिदोदु सुद्धनओ’
अर्थ–व्यवहार अभूतार्थ छे. सत्य स्वरूपने निरूपतो नथी. पण *कोई अपेक्षाए उपचारथी अन्यथा
निरूपे छे, तथा निश्चय शुद्धनय छे–भूतार्थ छे “कारण के ते जेवुं वस्तुनुं स्वरूप छे तेवुं निरूपे छे; ए प्रमाणे
ए बंनेनुं स्वरूप तो विरूद्धता **सहित छे.”
६
१६. प. पू. सद्गुरुदेव श्री मोक्षमार्ग प्रकाशक किरणो भाग २ पानुं–३२६ विगेरेमां कहे छे के–
“मोक्षमार्गनुं निरूपण बे प्रकारे करेल छे. एमां वीतरागी निर्विकल्प दशा ते निश्चय मोक्षमार्ग अने
राग–व्रतादिनी दशा ते व्यवहार मोक्षमार्ग छे. एक साचो मोक्षमार्ग अने बीजो निमित्त, उपचार, सहकारी के
खोटो मोक्षमार्ग–एम बे प्रकारे मोक्षमार्गनुं निरूपण छे. अखंड आत्मस्वभावना अवलंबने सम्यग्दर्शन–ज्ञान–
चारित्ररूप मोक्षमार्ग प्रगटयो ते साचो मोक्षमार्ग छे. ते वखते राग–विकल्प छे ते मोक्षमार्ग नथी पण तेने
उपचारथी मोक्षमार्ग कहेल छे; एटले के ते निमित्त, सहचर, उपचार अने व्यवहार एम चार प्रकारे (व्यवहार)
मोक्षमार्गनुं निरूपण करेल छे.
निश्चय मोक्षमार्ग एक ज छे–एम ज्ञानी माने छे. मिथ्याद्रष्टि बे नयनुं साधन राखे छे; बे मोक्षमार्ग
माने छे, अने बंने नयने उपादेय माने छे एम त्रण प्रकारथी भूल करे छे. शुभराग मोक्षमार्ग नथी, पण
मोक्षमार्गमां निमित्त छे–सहचारी छे. तेथी जेने निश्चय मोक्षमार्ग प्रगटयो छे तेना मंद कषायने उपचारथी
मोक्षमार्ग कहेल छे. आवुं निश्चय–व्यवहारनुं स्वरूप छे. माटे मोक्षमार्गनुं निरूपण बे प्रकारे जाणवुं, पण एक
निश्चयमोक्षमार्ग छे तथा एक व्यवहारमोक्षमार्ग छे एम बे मोक्षमार्ग मानवा मिथ्या छे. व्यवहारनय
अन्यथा कहे छे एटले बंधमार्गने मोक्षमार्ग कहे छे अने निश्चयनय जेवुं स्वरूप छे तेवुं कहे छे.
* व्यवहारनय अन्यथा अर्थात् सत्यथी बीजी रीते निरूपे छे. तथा कोई अपेक्षाए उपचारथी कथन करे छे माटे दरेक
अभ्यासीए–ए कथन कई अपेक्षाए कर्युं छे ते नक्की करवुं ज जोईए. वळी ए उपचारनुं प्रयोजन शुं छे तेनो पण निर्णय करवो जोईए.
जो तेम न करो तो तेनो ज्ञानअभ्यास विफळ जाय छे.
** व्यवहार मोक्षमार्ग निश्चयमोक्षमार्गथी विरुद्ध छे तेथी ते संवर–निर्जरारूप नथी पण आस/व बंधरूप छे.