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करे ते ज कर्त्ता’ भगवान आत्मा (दरेक आत्मा) त्रणेकाळे जाणनार स्वरूप छे. परंतु करनाररूपे नथी. हुं
स्वयं टकीने बदलनारो छुं. सामे ज्ञेय पुद्गलात्मक परमाणु अनंत छे, ते स्वयं तेनाथी टकीने बदलवानी
शक्तिवाळां छे. तेनो कर्त्ता कोई ईश्वर नथी तेमज कोई आत्मा पण तेनी अवस्थानो कर्त्ता नथी अने कारण के
कर्त्ता विना पर्याय थती नथी माटे ते पदार्थ ज तेनी पर्यायनो कर्त्ता छे केमके जे करे ते ते रूपे थाय, परिणमे ते
कर्त्ता छे. पर्याय पर्यायवानथी एकमेक होय छे. अंश अंशथी जुदो न होय; आम खरेखर कर्तृत्व पुद्गळनुं
पुद्गळमां होवाथी, हुं तेमना कर्त्तापणानो पक्षपात छोडी, (हुं) आ अत्यंत मध्यस्थ छुं.
कर्तृत्वनो करावनार होया विना तेओ खरेखर कराय छे. अने एवुं ज पदार्थनुं स्वरूप छे. स्वथी सत्पणे छे
परथी नथी एवुं ज्ञानमां, वाणीमां अने पदार्थमां आवे छे, सर्वत्र स्वतंत्र पदार्थनी प्रसिद्धि थई रही छे.
एकने लीधे बीजानुं कार्य माननारे पदार्थनुं स्वरूप मान्युं नथी.
योजनानो हुं कर्त्ता नथी.
निरोग रह्युं ते ठीक थयुं एवी अनुमोदनापणे हुं नथी; आ वाणी आम नीकळे तो ठीक एम हुं वाणीनो
अनुमोदक थतो नथी. अर्थात् तेमां मारी संमति नथी, तेथी कर्त्ता, कारण, आधार, प्रेरक, अनुमोदकपणानो
पक्षपात हुं छोडुं छुं. हुं अत्यंत मध्यस्थ ज्ञाता छुं. निश्चयथी पुद्गळे तेनी अवस्था करी छे दरेक वस्तु
पोतेपोतानी अवस्था करे छे पण परवडे थई नथी एम अस्ति नास्तिथी दरेके दरेक वस्तुनुं परथी जुदापणुं
साबीत थवुं ते अनेकान्त छे.
कदी थाय नहीं. अने जेने आवुं भेदज्ञान न थाय ते जीवना त्रिकाळी स्वरूप अने आस्रवनुं भेदज्ञान कदी करी
शके नहीं एम समजवुं.