Atmadharma magazine - Ank 209
(Year 18 - Vir Nirvana Samvat 2487, A.D. 1961)
(Devanagari transliteration).

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: २० : आत्मधर्म : २०९
जामनगरना आंगणे उजवायेलो भव्य
पंचकल्याणक जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महामहोत्सव
परम प्रभावक प.पूज्य सद्गुरुदेव श्री कानजीस्वामीना सदउपदेशथी श्री चुनीलाल हठीसींग शेठ वगेरे
तथा ईस्ट आफ्रिकामां व्यापार अर्थे गयेला श्री फुलचंदभाई, श्री भगवानजीभाई वगेरे दि.जैन मुमुक्षु मंडळ
द्वारा जामनगरमां आशरे बे लाखना खर्चथी उत्तम अने छेल्ली ढबनी कळाथी सुंदर जिनमंदिर तैयार थयुं छे.
ता. १३–१–६१ पू. गुरुदेव जामनगरमां पधार्या ते पहेलां आ उत्सव, प्रभावना, भक्ति माटे ईस्ट
आफ्रिकाथी मुमुक्षुओ मोटी संख्यामां आव्या हता, जामनगरना मुमुक्षुओनो अपूर्व उत्साह हतो, तेमणे आ
महोत्सव माटे संपूर्ण तैयारी करी राखी हती.
ता. १३–१–६१ नी सवारे पू. गुरुदेवनुं स्वागत खूब ठाठमाठथी मोटा समूह द्वारा थयुं, तेमां
हजारोनी संख्या हती, उत्सव मंडप पासे विशाळ सभा मंडपमां गुरुदेवे मांगलिक प्रवचन कर्युं, त्यार बाद
हंमेशा बे वखत पू. गुरुदेवना प्रवचनो थयां हतां. सवारे श्री समयसारजी शास्त्रनो कर्ता कर्म अधिकार तथा
बपोरे श्री पद्मनंदी पंचविंशतिमांथी दान अधिकार वंचातो हतो.
दिल्ही, जयपुर, अजमेर, उदेपुर, ईन्दोर, खंडवा, सनावद; भोपाळ, उज्जैन, गुना,कोटा, कलकत्ता
आदि स्थळेथी ३०० उपरान्त भाई बहेनो आव्याहता. गुजरात, सौराष्ट्र तथा मुंबईथी पण मोटी संख्यामां
मुमुक्षुओ आव्या हता. बधाने माटे भोजन आदिनी सुंदर व्यवस्था करवामां आवी हती. आ उत्सवमां पू.
बहेनश्री बहेनो तरफथी संपूर्ण मार्गदर्शन मळ्‌युं हतुं.
प्रतिष्ठाचार्य श्री नाथुलालजी शास्त्री (ईन्दोर) द्वारा आ वखते पण उत्तम प्रकारे श्री जिनेन्द्र
पंचकल्याणक प्रतिष्ठानुं महान कार्य निर्विघ्नपणे पूर्ण थयुं.
अजमेरथी आवेल डो. सौभाग्यमलजी आदि भजन मंडळीना भक्त कलाकारोए छ दिवस सुधी
भक्तिनो विविक कार्यक्रम रजू करीने हार्दिक उत्साह बताव्यो हतो.
जामनगरनुं जिनमंदिर घणुं आकर्षक अने विशाळ छे, आधुनिक पद्धतिथी बन्युं होवाथी भारतवर्ष
मांहेनुं एक सुंदर जिनमंदिर गणी शकाय एवुं छे. तेनी उत्तम प्रकारे रचना करनार दरबार साहेब श्री
अगरसिंहजी मोटा कोन्ट्राकटर छे. पूज्य गुरुदेवना प्रवचनो सांभळीने तेओ पण प्रभावित थया, तेमणे
जिनमंदिर उपर मोटो सुवर्ण कलश चडाववामां पांच हजार रूपिया दईने हृदयथी भकितभाव प्रगट कर्यो,
अने शीखर उपर कळश चडाव्यो.
जामनगरना श्वेताम्बर जैन भाईओ उपरांत अनेक अन्य भाईओ तरफथी पण आ महोत्सव
प्रसंगे अनेकविध सगवडो मळी, आ बधो पूज्य गुरुदेवनो पूण्य प्रभाव ज छे.
मंडपनी वेदीमां जामनगरना तथा अन्य शहेरोना मळी कुल ३१ जिन प्रतिमाजी हता. (तेमां उंची
जातना गुलाबी आरसना खास प्रतिमाजी छे ते अमदावादमां थनार नवा जिनमंदिर माटे हता.)
दिक्षा कल्याणक अवसरे पूज्य गुरुदेव पासे जामनगरना मुख्य बे मुमुक्षु भाईओए सजोडे आजीवन
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा लीधी.
मुंबईथी दि. जैन मुमुक्षुमंडळना प्रमुख मणिभाई