Atmadharma magazine - Ank 209
(Year 18 - Vir Nirvana Samvat 2487, A.D. 1961)
(Devanagari transliteration).

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फागण : २४८७ : २१ :
साथे १प० उपरांत भाई बहेनो आवेला, मुंबई दिगम्बर जैनमंदिरनी त्रीजी वरसगांठ महा सुदी ६नी हती
ते दिवसे मुंबई मंडळना सभ्यो वहेली सवारे सरघस रूपमां पूज्य गुरुदेवना दर्शन करवा आव्या हता अने
मुंबईमां फरीथी जिनेन्द्र पंचकल्याणक महोत्सव उजवाय एवी भावना व्यक्त करी. मुंबई मुमुक्षुमंडळने खूब
उत्साह छे एम ते उपरथी स्पष्ट जणायुं हतुं.
(गिरनारजी यात्रा संघ पू. गुरुदेव साथे जूनागढ जाय ते प्रसंगे मुंबई मंडळ तरफथी समूह
भोजनना रूा. १प०१) आव्या छे उपरांत श्री खीमचंद जेठालाल शेठ तरफथी ए रीते रूा. १प०१ तथा श्री
शान्तिलाल जोबाळीया तरफथी रूा. १प०१) तथा पोरबंदरना श्री भूराभाईना सुपुत्रो तरफथी रूा. १प०१
ते खाते आव्या छे.)
जामनगरमां उत्सवना मांगलिक प्रसंगो
ईन्द्रध्वज, धजाआरोपण विधि, जाप, नांदिविधान, ईन्द्रप्रतिष्ठा अने वरघोडो, जिनसहस्त्रनाम
मंडलविधानमहापूजा, यागमंडळविधान महापूजा, गर्भकल्याणकनी पूर्वक्रिया, माताना सोळ स्वप्न वगेरेनुं
भावप्रदर्शन, गर्भकल्याणक, अजमेरनी भजनमंडलीनो भक्ति कार्यक्रम ता. १७थी ता. १९–१–६१ सुधी
ता. २०–१–६१ प्रतिष्ठा मंडपमां विधिनायक श्री पार्श्वनाथ भगवानना जन्मनुं भाव प्रदर्शन,
मेरुपर्वत उपर जन्माभिषेक माटे ऐरावत हाथी उपर भगवाननो वरघोडो, रस्तामां भजन मंडलीनो खास
आकर्षक कार्यक्रम होवाथी दरेक रस्ता पर असाधारण भीड जामती हती. मेरुपर्वत पर जिनाभिषेक विधि
अने उत्सव पछी प्रतिष्ठा मंडपमां ईन्द्रोद्वारा नृत्य, पछी पारणा झूलन, पछी श्री पार्श्वनाथनो वनविहार
अने तापस कमठना भावोनुं प्रदर्शन.
ता. २१मी भगवानना वैराग्यनुं भाव प्रदर्शन, लेकान्तिक देवोनुं आगमन, जिनदिक्षा माटे
भगवाननी वनयात्रा तथा हाथी–पालखी वगेरे सहित वरघोडो अने तपकल्याणक प्रसंगे गुरुदेवश्रीनुं
वैराग्य प्रेरक प्रवचन, तपकल्याणक प्रसंगे गुरुदेवश्रीनुं वैराग्य प्रेरक प्रवचन, रात्रे पार्श्वनाथ भगवानना
पूर्वभवोनुं भाव प्रदर्शन तथा भक्ति ता.२२–१–६१ विधि नायक मुनिराज श्री पार्श्वनाथ भगवानने
आहारदान, पू. गुरुदेवना पावन करकमळ द्वारा जिनप्रतिमाजी उपर अंकन्यास विधि, केवळज्ञान कल्याणक,
समवसरण रचना तथा दिव्यध्वनि प्रसंगनुं प्रवचन, रात्रे भजन मंडलीनो कार्यक्रम ता. २३–१–६१ सवारे
जिनमंदिरमां भगवाननी विशाळ प्रतिमाओ लई जवा वखते तथा वेदीमां बिराजमान करवा टाणे तथा
मंदिरना शिखर उपर कलश ध्वजारोहण वखते उत्साह अने दर्शकोनी भारे भीड हती. आनंदथी जय
जयकारना नादो गूंजता हता.
ता. २३–१–६१ सवारे ८ाा थी ११ शान्तियज्ञ विधि खूब शान्तिपूर्वक थई. तेमां जापमां बेठेला १४
भाईओ तथा ईन्द्र ईन्द्राणी १६ ए बधानी वच्चे अनेक अग्निकूंड तेमां केवळज्ञान ज्योतिना महिमा पूर्वक
शास्त्रीजी द्वारा मधुर मंत्रोच्चार तथा स्वाहा उच्चार सहित आहूति थता हतां. आ द्रश्य भव्य हतुं. दरेक
कार्यक्रममां दर्शकोनी मोटी संख्यानी हाजरी रहेती. पूज्य गुरुदेवनुं प्रवचन ए ज मुख्य आकर्षण होवाथी
जिज्ञासुनी घणी मोटी संख्या व्याख्यानमां जोवामां आवती हती.
बपोर विशेष ठाठमाठथी जिनेन्द्रबिम्ब रथयात्रा नीकळी हती; हाथी उपर धर्मध्वजा फरकती हती
शणगारेला पाटवाळी मोटी ऊंटगाडीमां अजमेर भजनमंडळीनो नृत्य–गाननो कार्यक्रम हतो. अपूर्व उत्साह
पूर्वक आखा शहेरमां वरघोडो फर्यो हतो. आ बधी विशेषता जोईने शहेरमां आनंदमय खळभळाट मची
रह्यो हतो.
रात्रे जिनमंदिरमां पूज्य बहेनो द्वारा भकित थई, त्यार पछी भजनमंडली द्वारा भक्ति थई. आ
महान उत्सव चिरस्मरणीय रहेशे. अने आ बधा माटे खरेखर जामनगरना मुमुक्षु मंडळने अत्यंत धन्यवाद.