ते दिवसे मुंबई मंडळना सभ्यो वहेली सवारे सरघस रूपमां पूज्य गुरुदेवना दर्शन करवा आव्या हता अने
मुंबईमां फरीथी जिनेन्द्र पंचकल्याणक महोत्सव उजवाय एवी भावना व्यक्त करी. मुंबई मुमुक्षुमंडळने खूब
उत्साह छे एम ते उपरथी स्पष्ट जणायुं हतुं.
शान्तिलाल जोबाळीया तरफथी रूा. १प०१) तथा पोरबंदरना श्री भूराभाईना सुपुत्रो तरफथी रूा. १प०१
ते खाते आव्या छे.)
भावप्रदर्शन, गर्भकल्याणक, अजमेरनी भजनमंडलीनो भक्ति कार्यक्रम ता. १७थी ता. १९–१–६१ सुधी
आकर्षक कार्यक्रम होवाथी दरेक रस्ता पर असाधारण भीड जामती हती. मेरुपर्वत पर जिनाभिषेक विधि
अने उत्सव पछी प्रतिष्ठा मंडपमां ईन्द्रोद्वारा नृत्य, पछी पारणा झूलन, पछी श्री पार्श्वनाथनो वनविहार
अने तापस कमठना भावोनुं प्रदर्शन.
वैराग्य प्रेरक प्रवचन, तपकल्याणक प्रसंगे गुरुदेवश्रीनुं वैराग्य प्रेरक प्रवचन, रात्रे पार्श्वनाथ भगवानना
पूर्वभवोनुं भाव प्रदर्शन तथा भक्ति ता.२२–१–६१ विधि नायक मुनिराज श्री पार्श्वनाथ भगवानने
आहारदान, पू. गुरुदेवना पावन करकमळ द्वारा जिनप्रतिमाजी उपर अंकन्यास विधि, केवळज्ञान कल्याणक,
समवसरण रचना तथा दिव्यध्वनि प्रसंगनुं प्रवचन, रात्रे भजन मंडलीनो कार्यक्रम ता. २३–१–६१ सवारे
जिनमंदिरमां भगवाननी विशाळ प्रतिमाओ लई जवा वखते तथा वेदीमां बिराजमान करवा टाणे तथा
मंदिरना शिखर उपर कलश ध्वजारोहण वखते उत्साह अने दर्शकोनी भारे भीड हती. आनंदथी जय
जयकारना नादो गूंजता हता.
शास्त्रीजी द्वारा मधुर मंत्रोच्चार तथा स्वाहा उच्चार सहित आहूति थता हतां. आ द्रश्य भव्य हतुं. दरेक
कार्यक्रममां दर्शकोनी मोटी संख्यानी हाजरी रहेती. पूज्य गुरुदेवनुं प्रवचन ए ज मुख्य आकर्षण होवाथी
जिज्ञासुनी घणी मोटी संख्या व्याख्यानमां जोवामां आवती हती.
पूर्वक आखा शहेरमां वरघोडो फर्यो हतो. आ बधी विशेषता जोईने शहेरमां आनंदमय खळभळाट मची
रह्यो हतो.