: २२ : आत्मधर्म : २०९
गिरनारजी यात्रा समाचार
पूज्य गुरुदेव ता. २६ थी ता. २९–१–६१ संघ सहित गिरनारजी
यात्रार्थे पधार्या ते शुभ प्रसंगे १२००, उपरांत भाई बहेनो आव्या हता.
जुनागढ शहेरमां पूज्य गुरुदेवनुं भव्य स्वागत, बपोरे टाउन होलमां
जाहेर व्याख्यान, सांजे गिरनारजी सिद्धक्षेत्रनी तळेटीमां सहु पहोंची गया
त्यां रात्रे धर्मशालाना दि. जिनमंदिरमां अजमेर भजन मंडली द्वारा
भक्तिनो उत्साह दायक कार्यक्रम हतो.
ता. २७–१–६१ प्रातःसमय तीर्थ वंदना माटे पूज्य गुरुदेव
पधारवाना हता.आ यात्रानो विरल अने भव्य प्रसंग होवाथी हजारो
मुमुक्षु भक्तो भक्तिनी धुन सहित सवारे पाा वाग्ये रवाना थया, उपर
पहेली टूंके दिगम्बर जैन मंदिरमां पूज्य गुरुदेव सहित सहुए वंदना –पूजा
कर्या पछी मंदिरना खुल्ला चोकमां भक्तिनो कार्यक्रम राखेलो तेमां अजमेर
भजन मंडली द्वारा भकितरसनी जमावट करती भक्ति हती बाद बपोरे
सहस्त्रआम्रवन के ज्यां भगवान श्री नेमिनाथनां दिक्षा कल्याणक अने
केवळज्ञान कल्याणक थयेल. त्यां पू.गुरुदेव संघ सहित पधार्या.
सस्त्राम्रवनमां भगवान श्री नेमिनाथ प्रभुनां चरणे चिन्ह छे.
तेमनी वीतरागता अने तेमनुं स्मरण, तेमना प्रत्ये बहुमान व्यक्त
करवामां प्रथम तो वंदन अने पूजा थयुं पछी पूज्य गुरुदेव अपूर्व भक्ति
करावी, तथा वीतरागताना स्मरणरूपे थोडुं वक्तव्य कर्युं. आ प्रसंग घणो
भव्य अने धन्य घडी–धन्य भाग्य समान हतो. सांजे पू. गुरुदेव पहेली
टूंके पाछा पधार्या,रात्रे ७ थी ८ाा दि. जैन मंदिरना चोकमां भक्ति हती
तेमां सती राजुल तथा तेमना पिताजीनो संवाद बहु रोचक अने
वैराग्यमय होईने संवाद करनार तथा सर्व श्रोताओ गदगद थई जतां
जोवामां आवता हता.
ता. २८–१–६१ सवारे गिरनारजीनी पांचमी टूंके जतां रस्तामां
अपूर्व उत्साहमय भक्ति द्वारा जयकार अने भक्ति–भजन करतां करतां
सौ चालता हता.
पांचमी टूंक–भगवान श्री नेमिनाथ प्रभुनी निर्वाण भूमि छे त्यां
ईन्द्रो द्वारा स्थापित भगवाननां चरण चिन्ह छे. तेमनी परम हर्ष सहित
वंदना–पूजा थया पछी