एवा विभागमां निमित्त थवुं ते तेनुं कार्य नथी. जे विस्त्रसोपचय ते समये कर्मपर्यायरूपे परिणमनारा होय
तेना बंधमां निमित्त थवुं एटलुं ज मात्र योगनुं कार्य छे. आ रीते कर्मशास्त्रमां बंध, संक्रमण अने
विस्त्रसोपचयना सम्बन्धमां स्वीकारेली आ व्यवस्थाओ उपर द्रष्टिपात करवाथी ए ज जणाय छे के कार्यमां
उपादाननी योग्यता ज नियामक छे अने ज्यारे उपादाननो कार्यरूपे थवानो स्वकाळ आवे छे त्यारे ज ते
अन्य द्रव्यने निमित्त करीने कार्यरूपे परिणमे छे.
उपासना नथी करता तेनो जन्म निष्फळ छे. जिनवाणी केवी छे के
करवावाळाने आनंदरूपी समुद्रने वृद्धि पामवामां चंद्रमा समान छे.