शके छे. पण उत्कर्षण उदयावलिनी बहार रहेला समस्त कर्मपरमाणुओनुं थई शकतुं होय एम नथी. उत्कर्षण
थवा माटे नियम घणा छे अने अपवाद पण घणा छे परंतु टूंकामां एक ए नियम करी शकाय छे के जे
परमाणुओनी उत्कर्षणने योग्य शक्ति स्थिति बाकी छे अने तेओ उत्कर्षणना योग्य स्थानमां रहेलां छे.
तेओनुं ज उत्कर्षण थई शके छे, अन्यनुं नहि. जो आपणे आ नियमोने ध्यानमां राखीने विचार करीए तो
पण एज वात नक्की थाय छे के जे परमाणु उत्कर्षणने योग्य उक्त योग्यता युक्त छे तेओ ज जीव
परिणामोने निमित्त करीने उत्कर्षित थाय छे. तेमां पण ते सर्व परमाणु उत्कर्षित थतां होय एम पण नथी.
परंतु जेमां विवक्षित समयमां उत्कर्षित थवानी योग्यता होय छे ते विवक्षित (खास; अमुक) समयमां
उत्कर्षित थाय छे अने जेमां द्वितीय आदि समयोमां उत्कर्षित थवानी योग्यता होय छे ते द्वितीय आदि
समयोमां उत्कर्षित थाय छे. ए ज नियम अपकर्षण आदि माटे पण जाणी लेवो जोईए.
व्यक्ति स्थिति (–ए जातनो प्रगट स्थितिबंध, १) पडवानी योग्यता होय छे ते समये तेमां तेटली
व्यक्तिस्थिति पडे छे अने बाकीनी शक्ति स्थिति रही जाय छे एमां संदेह नथी. पण ए परमाणुओने
पोतानी व्यक्तिस्थिति के शक्तिस्थितिना काळ सुधी कर्मरूपे नियमथी (निश्चयथी) रहेवुं ज जोईए अने जो
तेओ एटला काळसुधी कर्मरूपे नथी रहेतां तो तेनुं कारण तेओ स्वयं कदापि नथी, (अने) अन्य ज छे एवुं
मानी शकातुं नथी, केमके एवुं मानवाथी एक तो कारणमां कार्य कथंचित् सत्तारूपे अवस्थित रहे छे ए
सिद्धांतनो अपलाप
आवे छे त्यारे प्रत्येक कार्य स्वकाळे ज थाय छे ए ज सिद्धांत चोक्कस ठरे छे. आ द्रष्टिथी अकाळमरण अने
अकाळपाक जेवी वस्तुने कोई स्थान मळतुं नथी. अने ज्यारे तेनो अतर्कितोपस्थित