Atmadharma magazine - Ank 213a
(Year 18 - Vir Nirvana Samvat 2487, A.D. 1961)
(Devanagari transliteration).

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अषाड : २४८७ : ११ :
निश्चय – व्यवहार मीमांसा
त्त् . .
(मूळ पुस्तक पृष्ठ २२प)
शुद्ध द्रव्यार्थिक इति स्यादेकः शुद्ध निश्चयो नाम ।
अपरोडशुद्ध द्रव्यार्थिक इति तद्शुद्ध निश्चयो नाम ।। १–६६० ।।
इत्यादिकाश्च–वहवो भेदा निश्चयनयस्य यस्य मते ।
स हि मिथ्या द्रष्टिः स्यात् सर्वज्ञावमानितो नियमात् ।। १–६६१ ।।
अर्थ–शुद्ध निश्चय नामनो एक शुद्ध द्रव्यार्थिकनय छे अने अशुद्ध निश्चय नामनो एक अशुद्ध
द्रव्यार्थिकनय छे. १–६६०. ईत्यादिरूपे जेमना मतमां निश्चयनयना घणा भेदो कल्पवामां आव्या छे ते
नियमथी सर्वज्ञनी आज्ञानुं अपमान करनार छे, तेथी ते मिथ्याद्रष्टि ज छे. १–६६१
८६. उक्त कथननो सार ए छे के समयप्राभृत वगेरे शास्त्रोमां परमभावग्राही निश्चयनय सिवाय
बीजा अर्थोमां पण निश्चयनय शब्दनो प्रयोग थयो छे एमां शंका नथी परंतु तेवुं कथन त्यां विशेष प्रकारनी
कथनशैलीथी ज करवामां आव्युं छे. तेथी जो परमार्थद्रष्टिथी जोवामां आवे तो निश्चयनय एक ज छे अने ते
ज मोक्षमार्गमां आश्रय करवा योग्य छे केम के तेनो आश्रय लईने स्वभाव सन्मुख थतां ज निर्विकल्प
शुद्धानुभूति प्रगटे छे. आ रीते निश्चयनय शुं छे अने जीवनमां साधकने माटे एनो शुं उपयोग छे एनो
विचार कर्यो.
८७. हवे अहीं व्यवहारनयनी मीमांसा करवी छे. ए तो अमे पहेलां ज बताव्युं छे के समयप्राभृतमां
व्यवहारनयने अभूतार्थ कह्यो छे. त्यां अभूतार्थनो क््यो अर्थ ईष्ट छे ते पण अमे बताव्युं छे. हवे एना ज
आधारे अहीं आ नय अने एना भेदोने सांगोपांग विचार करीए छीए. वास्तवमां व्यवहार’ ए
व्युत्पत्तिवाळो शब्द छे. ए ‘वि’ अने ‘अव’ एवा उपसर्ग साथे ‘हृ’ धातुथी बन्यो छे. गुण अने पर्याय
वगेरेनुं आलंबन लईने अखंड वस्तुमां कोई प्रकारनो भेद करवो एवो एनो अर्थ थाय छे. एक तो ए
विकल्पात्मक श्रुतज्ञाननो एक भेद छे. बीजुं ए भेदनी मुख्यताथी ज वस्तुनो स्वीकार करे छे. तेथी जेटला
कोई व्यवहारनय छे ते उदाहरण सहित विशेषण–विशेष्यरूप ज होय छे.
८८. आ ज सत्य ध्यानमां राखीने पंचाध्यायीमां एनुं लक्षण बतावतां कह्युं पण छे:–
सोदाहरणो यावान्नयो विशेषणविशेष्यरूपः स्यात्
व्यवहारापरनामा पर्यायार्थो नयो न द्रव्यार्थः ।। १–५९६ ।।
अर्थ :– जेटला कोई उदाहरण सहित विशेषण–विशेष्यरूप नयो छे ते बधा पर्यायार्थिक नय छे. एनुं
ज बीजुं नाम व्यवहारनय छे. पण द्रव्यार्थिक नय एवो नथी. १–प९६.