Atmadharma magazine - Ank 215
(Year 18 - Vir Nirvana Samvat 2487, A.D. 1961)
(Devanagari transliteration).

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भादरवो : २४८७ : १३ :
शास्त्रमां निश्चय अने व्यवहार, शुद्ध अने शुभ बंने प्रकारनुं स्वरूप बताव्युं छे,–पण तेमां तात्पर्य
तो एक ज बताव्युं छे के शुद्धोपयोगरूपे परिणमवुं. आवुं तात्पर्य तारवे ते ज शास्त्रने भण्यो छे. एनाथी
ऊंधुंं तात्पर्य काढे तो ते शास्त्रने नथी भण्यो पण पोतानी स्वच्छंद कल्पनाथी तेणे ते तात्पर्य काढयुं छे,
शास्त्रनुं के संतोना हृदयनुं एवुं तात्पर्य छे ज नहीं. हजी तो शास्त्रना अर्थ पण ऊंधा करे ने तात्पर्य ज ऊंधुंं
काढे ते जीव शास्त्रना फळने क््यांथी पामे? चिदानंद स्वभावमां उपयोगने वाळवानुं शास्त्रो कहे छे–एम
तात्पर्य समजीने जे जीवे पोतानो उपयोग स्वसन्मुख वाळ्‌यो तेणे शास्त्रनुं भावश्रवण कर्युं छे, ने ते जीव
शास्त्रना फळरूप परमानंदथी भरपूर अभूतपूर्व मोक्षपदने पामे छे. आ अर्हंतदेवना शासननुं संक्षेप रहस्य
छे, बीजुं जे कांई छे ते बधुं एनो ज विस्तार छे.
आ रीते भगवान अर्हंतदेवना समग्र शासनने संक्षेपथी बधां पडखेथी प्रकाशनारां आ
पांच रत्नो जयवंत वर्तो!
टेप रेकोर्डिगरील – प्रवचन – प्रचार
परमपूज्य गुरुदेवना आत्महितकारी प्रवचनोनो परोक्ष लाभ
बहारगामना जिज्ञासुओने पण मळी शके ते हेतुथी मुंबईना भाईश्री
नवनीतलाल सी. झवेरी तरफथी एक व्यवस्था करवामां आवी छे, ते
अनुसार पू. गुरुदेवना महत्वना प्रवचनो रेकोर्डिंग रीलमां ऊतारी लेवामां
आवे छे अने एक भाईने मशीन साथे बहारगाम मोकलवामां आवे छे,
तेमनी साथे हिंदी तेमज गुजराती बंने भाषाना रील होय छे; अने जे
गामथी आमंत्रण आवे ते गामे अनुक्रमे अनुकूळता मुजब मोकलवामां आवे
छे. अत्यारसुधीमां अनेक गामोए आ योजनानो लाभ लीधो छे. जेओ आ
योजना अनुसार रेकोडिंग रीलद्वारा गुरुदेवना प्रवचन सांभळवा ईच्छता
होय तेमणे ते गामना मुमुक्षुमंडळ के संघना अग्रणी मारफत सोनगढ
पत्रव्यवहार करवो. आ माटे बोलावनाराओए जे गामथी ते भाई आवे ते
गामथी पोताना गाम सुधीनुं प्रवासखर्च (रेलभाडुं वगेरे) अने ते उपरांत
व्यवस्था खर्चना रूा. त्रण आपवाना रहेशे. ते सिवाय बीजी कांई भेट के फंड
आपवानुं नथी. रेकोर्डिंगमशीन
A.C. ईलेकट्रीक पावर उपर चाले छे.
पत्रव्यवहारनुं सरनामुं :–
व्यवस्थापक : प्रचारविभाव
ठे: दि. जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट,
सोनगढ (सौराष्ट्र)