भादरवो : २४८७ : १९ :
जैन तत्त्व मीमांसा
विषय – प्रवेश
करि प्रणाम जिनदेवको, मोक्षमार्गअनुरूप;
विविध अर्थ गर्भित महा कहीए तत्त्वस्वरूप,
है निमित्त उपचारविधि, निश्चय है परमार्थ;
तजी व्यवहार, निश्चय गहि साधो सदा निजार्थ.
१. आ लोकमां एवुं एक पण प्राणी नथी जे दुःखनिवृत्ति अने सुखप्राप्तिनो ईच्छक न होय. एज
कारण छे के धर्मतीर्थना प्रवर्तक तीर्थंकर अनादिकाळथी सुखप्राप्तिना प्रधान साधनभूत मोक्षमार्गनो उपदेश
देता आव्या छे मोक्षमार्ग कहो, सुखप्राप्तिनो मार्ग कहो के दुःखथी निवृत्ति थवानो मार्ग कहो ए बधानो एक
ज अर्थ छे. जे मार्गनुं अनुसरण करीने आ जीव चार गतिना दुःखथी निवृत्त थाय छे ते मोक्षमार्ग छे, ए
उक्त कथन करवानुं तात्पर्य छे. मोक्षमार्ग ए अंतरगर्भ निषेधवाचक वचन छे. परंतु ज्यारे कोई धर्मनो
निषेध करवामां आवे छे त्यारे तेनी प्रतिपक्षभूत विधि पोतानी मेळे सिद्ध थई जाय छे. माटे जे
दुःखनिवृत्तिनो मार्ग छे ते ज सुखप्राप्तिनो पण मार्ग छे एम अहीं समजवुं जोईए.
२. आ प्रसंगथी अहीं ए विचार करवानो छे के तीर्थंकरोनो जे उपदेश चारे अनुयोगो संकलित छे
तेने वचनव्यवहारनी द्रष्टिथी केटला भागमां वहेंची शकाय छे? विविध प्रमाणोना प्रकाशमां विचार करतां
जणाय छे के तेने आपणे मुख्यत्वे बे भागमां वहेंची शकीए छीए–उपचरित कथन अने अनुपचरित कथन.
जे कथननो प्रतिपाद्य अर्थ तो असत्यार्थ छे (जे कहेवामां आव्युं तेवो पदार्थ नथी) परंतु तेनाथी
परमार्थभूत अर्थनुं ज्ञान थई जाय छे तेने उपचरित कथन कहे छे, अने जे कथनथी जे पदार्थ जेवो छे तेनुं
तेज रूपे ज्ञान थाय छे तेने अनुपचरित कथन कहे छे. आ विषयने स्पष्ट करतां पोतानी सुबोध भाषामां
पंडित प्रवर टोडरमलजी मोक्षमार्ग प्रकाशकमां लखे छे–
तहां जिन आगम विषैं निश्चय व्यवहाररूप वर्णन है। तिन विषै यथार्थका नाम निश्चय है,
उपचारका नाम व्यवहार है।
[अधिकार ७ पृ. २८७] गुजरातीपृ. २००
व्यवहार अभूतार्थ है। सत्य स्वरूपके न निरूपै है। किसी अपेक्षा उपचार करि अन्यथा निरूपै
है। बहुरि शुद्धनय जो निश्चय है सो भूतार्थ है जैसा वस्तुका स्वरूप है तैसा निरूपै है। [अधिकार ७
पृ. ३६९] गुज. पृ. २प४ एक ही द्रव्यके भावकौ तिस स्वरूप ही निरूपण करना सो निश्चय नय है
उपचार करि तिस द्रव्यके भावकौं अन्य द्रव्यके भावस्वरूप निरूपण करना सो व्यवहार है [अधिकार
७ पृ. ३६९] आ पंडित प्रवर टोडरमल्लजीनुं कथन छे. एथी स्पष्ट छे के जिनागममां वचनव्यवहारनी
द्रष्टिए बे प्रकारनुं कथन मळे छे. तेमां सौथी पहेलां अहीं उपचरित कथनना केटलांक उपयोगी उदाहरणो रजु
करीने तेओ उपचरित केम छे एनी मीमांसा करीए छीए.
उपचरित कथनना केटलाक उदाहरण :–
१. एक द्रव्य पोतानी विवक्षित पर्यायद्वारा बीजा द्रव्यनुं कर्ता छे अने बीजा द्रव्यनी ते पर्याय तेनुं कर्म छे.