Atmadharma magazine - Ank 215
(Year 18 - Vir Nirvana Samvat 2487, A.D. 1961)
(Devanagari transliteration).

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: २२ : आत्मधर्म : २१प
सं स्था स मा चा र
श्री दिगंबर जैन स्वाध्याय मंदिर (सोनगढ) ना ट्रस्टीओ तरफथी प्रकाशित निवेदन
अनुसार ता. १०–९–६१ तथा ११–९–६१ना रोज सोनगढमां एक साधारण सभा थई; आ
माटे ७० गामे आमंत्रण मोकलवामां आवेल तेमांथी लगभग ४२ गामनां मुमुक्षुमंडळो
तरफथी प्रतिनिधिओ आव्या हता; हिन्दीभाषीक्षेत्रमांथी पण खंडवा, सनावद, किसनगढ,
आग्रा, भोपाल, उज्जैन, गुना वगेरे अनेक स्थानोना प्रतिनिधिओ आव्या हता. मुंबईना
शेठश्री नवनीतलाल सी. झवेरीनी अध्यक्षतामां सभानी कार्यवाही करवामां आवी हती, अने
तेमां नीचे प्रमाणे कार्य करवानो निर्णय थयो हतो–
१. श्री दि. जैन मुमुक्षुमहामंडळनी स्थापना करवामां आवी. आ महामंडळनो
उदे्श पूज्य श्री कानजीस्वामी द्वारा उपदेशित यथार्थ दिगंबर जैनधर्मनो विशेष प्रचार अने
प्रसार करवानो, तथा सोनगढना दि. जैन स्वाध्याय मंदिर–ट्रस्ट अंतर्गत समस्त प्रवृत्तिओने
विशेष व्यवस्थित प्रकारे चलाववानो रहेशे; तेमज उपरोक्त उद्देशनी पूर्तिमां लागेली बधी
संस्थाओना एकीकरणनो उद्देश रहेशे.
उपरोक्त उपदेशमां श्रद्धा राखनारा संघ संस्था अथवा मंडळ ते महामंडळना सभ्य बनी
शकशे. तेमना द्वारा चूंटायेला प्रतिनिधिओ ज आ मंडळनी प्रवृत्तिओमां भाग लई शकशे. अने
ते बधा प्रतिनिधिओ मळीने एक कार्यवाहक कमिटीनी चूंटणी करशे, ते कमिटी उपरोक्त उद्देशनी
पूर्तिने माटे योग्य व्यवस्था करशे. (जे जे गामना संघे के मंडळे सभ्योनी नोंध हजु सुधी न
मोकलावी होय तेओ तुरत ज सोनगढ नोंध मोकलावी आपे एवी विनंति छे.)
२. उपरोक्त महामंडळनुं विधान (धाराधोरण) तैयार करीने सर्व संमतिथी
पसार करवामां आव्युं छे, अने हवे ते विधान बधा गामनां मुमुक्षुमंडळोनी पासे मोकलवामां
आवशे, अने ते विधान अनुसार जे कोई मंडळ वगेरे संस्था ते महामंडळना सभ्य थवा
ईच्छशे तेमने एक प्रतिज्ञापत्र मोकलवामां आवशे. विधान अनुसार प्रतिज्ञापत्र आव्या
बाद, योग्य अवसरे बधा प्रतिनिधिओनी एक सभा बोलाववामां आवशे. अने तेमां कायमी
कार्यवाहक कमिटी वगेरेनी चूंटणी करवामां आवशे. त्यां सुधी वचगाळाना समयमां कार्य
करवा माटे नीचे जणाव्या मुजबनां कार्यो माटे केटलीक विभागीय कमिटीना तथा तेना
सभ्योनी सर्वानुमते निमणुक करवामां आवी छे.
पुस्तकप्रकाशन विभाग :
आत्मधर्म मासिक अने वार्षिक रिपोर्ट
प्रचारविभाग
वहीवट अने हिसाबी कामकाज:
श्री जिनमंदिरने लगतुं कामकाज:
बील्डींगने लगतुं कामकाज:
जैन अतिथि सेवा समितिने सहाय करवाने लगतुं कामकाज:
आ संबंधमां पूज्य श्री कानजी स्वामी द्वारा उपदेशित यथार्थ मार्गमां रुचि राखनारा
बधा संघो तथा मंडळो वगेरेने निवेदन करवामां आवे छे के तेओ पोतपोताना संघनी माहिती
तथा पूरुं ठेकाणुं मोकलावी आपे, जेथी तेमनी पासे विधान–धाराधोरण–मोकली शकाय.