‘अमे ग्या’ता भगवानना देशमां गुरुदेवनी साथमां
(दीपावली पर्वनुं उद्भवस्थान : : : पावापुरी)
जेम आराधक संतोनी परिणति मोक्षने भेटवा दोडे तेम
यात्रासंघनी मोटरो वीरनाथना मोक्षधामने भेटवा दोडी रही हती.
थोडीवार थई त्यां पावापुरी देखाणी...सरोवरनी वच्चे शोभतुं
जळमंदिर पण देखायुं. अहा, आ तो आपणा भगवाननुं
मुक्तिधाम!!...दूरथी पण महावीर भगवाननी मुक्तिनगरी जोतां
यात्रिकोने आनंद थयो–जेम साधकने सिद्धना दर्शनथी आनंद थाय
तेम. जेनी मध्यमां निर्वाणधाम छे एवा पद्मसरोवर ने लगभग
प्रदक्षिणा देता देता पावापुरीमां प्रवेश्या त्यारे एम थतुं के आपणा
भगवान आ स्थळ उपर सिद्धभगवंतोना देशमां–मुक्तिपुरीमां
बिराजी रह्या छे.–आ ए ज मुक्तिपुरी छे, आपणे भगवानना
देशमां आवी गया छीए ने संसारने भूली गया छीए.
भगवानना देशमां कोने आनंद न होय!! आजे तो मुक्तिधाममां
मुक्तिमार्ग प्रदर्शक संत पण साथे ज हता–तेथी घणो आनंद थतो
हतो. आजे पण याद आवे छे के–“अमे ग्या’ता भगवानना
देशमां...गुरुदेवनी साथमां.’