स्वाध्याय करी रह्या छे. गुरुदेवनी आसपास केवी
छाया भवतप्त प्राणीओने शांति नथी आपी शकती,
ज शांति आपी शके छे. ग्रीष्म ऋतुना धोम तडकामां
शीतलछायानुं शरण ल्ये छे. हे गुरुदेव! अमे आपनां
ज अभ्यर्थना.
Atmadharma magazine - Ank 219
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).
PDF/HTML Page 3 of 21