Atmadharma magazine - Ank 219
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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: ६ : आत्मधर्म: २१९
सर्वे पाठकोने रस आवे अने खास करीने बाळको रसपूर्वक तत्त्वज्ञाननो अभ्यास करवामां जोडाय–
एवा सुगम लेख माटे तंत्रीश्रीनी सूचनाने अनुसरीने अहीं नवतत्त्व संबंधी केटलाक प्रश्नो रजु कर्या छे अमने
विश्वास छे के ते सौने पसंद पडशे. बाळको! तमे पण आ प्रश्नो विचारजो अने न समजाय ते तमारा वडीलो
पासेथी समजी लेजो. जे बाळको बधा प्रश्नोना जवाब लखी मोकलशे तेमने एक फोटो भेट मोकलाशे. (मात्र
जवाबो ज लखवा; प्रश्नो लखवानी जरूर नथी. सरनामुं–“संपादक आत्मधर्म” : स्वाध्याय मंदिर, सोनगढ:
सौराष्ट्र) जवाबो आवता अंके प्रगट थशे. तमारो प्रिय “बालविभाग” पण टूंक समयमां शरू थशे.
(१) आपणे चैतन्यस्वभावमां संपूर्ण स्थिर
थईए तो आपणी पासे कयुं तत्त्व आवे?
(२) आपणे भगवाननी भक्तिपूजा करीए,
अने गुरु प्रत्ये तथा धर्मीजीवो प्रत्ये विनय–बहुमान
करीए तो आपणी पासे कयुं तत्त्व आवे?
(३) कोई मूढजीव घणा जीवोने मारी नांखे तो
तेनी पासे कयुं तत्त्व आवे?
(४) आपणी पासे एवुं कयुं तत्त्व छे के जे सदाय
(अनादि अनंत) आपणी पासे ज होय?
(प) आपणी पासे मोक्षतत्त्व आवे तो बीजा
कया कया तत्त्वो आपणी पासेथी छूटी जाय?
(६) एक जीवनी पासे एक साथे वधारेमां वधारे
केटला तत्त्वो होय? कया–कया?
(७) नव तत्त्वमांथी ओछामां ओछा तत्त्वो कया
जीव पासे होय? अने कया कया?
(८) सम्यग्दर्शन थाय त्यारे आपणी पासे कया
कया तत्त्वो नवा आवे?
(९) सम्यग्दर्शन थतां आपणी पासेथी कया कया
तत्त्वो भागवा मांडे?
(१०) सिद्ध भगवान पासे झाझा तत्त्वो छे के
तमारी पासे?
(११) ज्यां संवरतत्त्व होय त्यां बीजा कया कया
तत्त्वो होई शके?
(१२) ज्यां संवरतत्त्व न होय त्यां बीजा कया
कया तत्त्वो होई शके?
(१३) संवरतत्त्वनी पूर्णता क््यारे?
(१४) निर्जरातत्त्वनी पूर्णता क््यारे?
(१प) सिद्ध भगवंतो पासे केटला तत्त्वो होय?
(१६) मोक्षमार्ग एटले कया कया तत्त्वो?
(१७) जगतमां संवरतत्त्ववाळा जीवो झाझा के
मोक्षतत्त्ववाळा झाझा?
(१८) जगतमां मोक्षतत्त्ववाळा जीवो झाझा के
बंधतत्त्ववाळा झाझा?
(१९) जगतमां जीवतत्त्वो झाझा के
?
(२०) तमारी पासे अत्यारे कया कया तत्त्वो छे?
(२१) नवतत्त्वोमांथी कया कया तत्त्वो सारा
(हितरूप) छे?
(२२) मिथ्याद्रष्टिजीव कया तत्त्वोनो राजा छे?
(२३) नीचेनां वाक््यो वांचतां कयुं तत्त्व याद
आवे छे?
१. जीव नरकमां घणुं ज दुःख भोगवे छे ( )
२. स्वर्गमां पण खरेखर सुख नथी. ( )
३. सिद्ध भगवंतो संपूर्ण सुखी छे. ( )
४. चैतन्यना ध्यान वडे कर्मना
भुक्का ऊडी जाय छे. ( )
प. ज्ञान ते मारो स्वभाव छे. ( )
६. मिथ्याद्रष्टिने घणी आवक छे ने सम्यग्द्रष्टिने
बहु ज थोडी आवक छे,–शेनी? –कर्मनी. ( )
७. सम्यग्द्रष्टिने आवक करतां
जावक वधारे छे–शेनी?–कर्मनी. ( )
८. मिथ्याद्रष्टिने जावक करतां आवक
घणी छे–शेनी?–कर्मनी. ( )
९. सम्यग्दर्शन वगर कर्मबंधन कदी अटके नहि. ( )
१०. देहमां ज्ञान नथी. ( )