कषायनो अभाव थयो ने स्वरूपाचरण चारित्र प्रगट्युं, तो तेनुं फळ पण एवुं महान छे के अनंत संसारने
छेदीने अल्पकाळे जीवने मुक्ति पमाडे. ज्ञानने अंतर्मुख करीने ज्यां स्वज्ञेयने जाण्युं त्यां बीजा जाणपणानो
उघाड भले थोडो हो, अने तप पण भले थोडुं हो, छतां अल्प आचरणवडे पण ते महान फळने पामे छे.
शुद्धतानी कळा समकितीने खीलती ज जाय छे कोई जीव अज्ञानपूर्वकना आचरणथी नवमी ग्रैवेयक सुधी
जाय, ने कोई क्षायिक सम्यग्द्रष्टि ज्ञानी पहेला स्वर्गे जाय, छतां ज्ञानीने क्षणे क्षणे अंदर चैतन्यनी कळा अने
चैतन्यनी शुद्धता खीलती ज जाय छे. अरे, श्रेणीक राजा क्षायिक सम्यग्द्रष्टि ते अत्यारे नरकमां होवा छतां
सम्यक्त्वना प्रतापे क्षणे क्षणे चैतन्यनी शुद्धता पामे छे. मिथ्याद्रष्टि मुनि करतां निर्मोही गृहस्थ (सम्यग्द्रष्टि)
पण श्रेष्ठ छे. मिथ्याद्रष्टि मुनि थयो होय तो पण तेने “चलशब” कह्यो छे; ने सम्यग्द्रष्टि धर्मात्माने
“नानकडा सिद्ध” (ईषत् सिद्ध) कह्या छे.
आचरण करवा छतां संसारथी जराय नीवेडो न आव्यो; अने जो आत्मानुं भान करीने एकवार पण
सम्यग्दर्शन प्रगट करे तो एक क्षणमां अनंत संसार कट थई जाय छे, ने अल्पकाळमां मोक्षपदनी प्राप्ति थाय.
–आवुं सम्यग्दर्शननुं महान फळ छे.
भावना भावे छे ते जीव चार गतिने छेदीने मुक्ति पामे छे. अतीन्द्रिय चैतन्यनी भावनाथी उत्तम शीलना
सर्वे गुणो परिपूर्ण थाय छे ने भवनो भेद थई जाय छे. जेम सुवर्णने धोईने गेरूथी घसतां ऊजळुं चकचकित
बने छे, तेम निर्मळ सम्यग्ज्ञानरूपी जळवडे आत्माने धोईने, विषयोथी वैराग्यरूप गेरूवडे घसतां शुद्धता
थाय छे ने अनंतचतुष्टय वडे आत्मा झळहळी ऊठे छे.
जीवो शास्त्रज्ञान पामवा छतां उपशमने पामता नथी, ते मंदबुद्धि जीवो विषयोमां ज वर्ते छे. भले
ज्ञाननो उघाड झाझो होय तो पण तेने मंदबुद्धि ज कह्यो छे. चैतन्यसन्मुखनुं सम्यग्ज्ञान तो तेने छे
नहि, ने बहारना जाणपणारूप ज्ञानथी ते गर्वित थईने वर्ते छे, ने स्वछंदे विषयकषायोमां ज वर्ते छे
पण चैतन्य तरफ वळतो नथी, तो ते जीवनी ऊंधी परिणतिनो ज अपराध छे, ज्ञाननो कांई दोष नथी.
भाई, चारे कोरथी चिंताने हठावीने स्वभावसन्मुख तारा उपयोगने जोड; ए रीते चैतन्यना ध्येये
पूर्णानंद प्रगट थशे.
विचार विना वैराग्य आवे नहीं. आ कारणथी सत्पुरुषनां वचनो वारंवार विचारवा.”
“ज्ञान तो एक जेनाथी बाह्यवृत्तिओ रोकाय छे, संसार परथी खरेखरथी प्रीति घटे छे.
साचाने साचुं जाणे छे, जेनाथी आत्मामां गुण प्रगटे ते ज्ञान.”