Atmadharma magazine - Ank 222
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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चैत्र : २४८८ : १९ :
भिन्नपणे ज तेमनुं ज्ञान परिणम्या करे छे. आ अंतरना परिणमननी चीज छे, आ कांई शब्दोनी
गोखणपट्टीनी चीज नथी. ज्ञानीने भेदज्ञान कांई गोखवुं नथी पडतुं, पण तेमनी परिणति ज रागथी
भिन्न ज्ञानभावे परिणमी गई छे, भेदज्ञानना बळे एवी परिणति तेमने वर्त्या ज करे छे. अहो, गमे
ते प्रसंगमां ज्ञानीनुं ज्ञान पोताना आनंद स्वभावे रहेतुं थकुं ने रागादिथी जुदुं ज वर्ततुं थकुं पोतानुं
कार्य करे छे. तेने एम घंटा नथी गणवा पडता के ‘अरे, आ प्रतिकूळता क््यारे टळे!’ प्रतिकूळताना
काळे ज तेनुं ज्ञान तो ज्ञानभावपणे ज वर्ते छे, ते जरापण अज्ञानरूप के परभावरूप थतुं नथी. आवी
अपूर्व दशानुं नाम भेदज्ञान छे, ते ज संवरनिर्जरा छे, ते ज मोक्षनो पंथ छे, ते ज धर्म छे, ने ते ज
मंगळरूप महिमावंत छे. आवा भेदज्ञाननो सतत अभ्यास करवा जेवो छे, आवुं भेदज्ञान अतीव
भाव्य छे.
* * * * * * *
श्री जैन विद्यार्थीगृह – सोनगढ (सौराष्ट्र)
आप आपनां बाळकोने उपरोक्त बोर्डिंंगमां दाखल करो.
मासिक भोजननुं लवाजम आगामी वर्षथी रूा. प) घटाडवामां आव्युं
छे. पुरी फीना रूा. २प) तथा ओछी फीना रूा. १प) मासिक लेवामां आवशे,
खोराक शुद्ध अने सात्त्विक आपवामां आवे छे.
उपरांत विद्यार्थीओने सुवा पलंग तथा बीजी बधी सगवडो पण
आगामी वर्षथी आपवानुं विचारवामां आवेल छे.
अहीं विद्यार्थीओने हाईस्कूलमां एस. एस. सी. (मेट्रिक) सुधीना
शिक्षण उपरांत धार्मिक अभ्यासनो तथा पूज्य सद्गुरुदेवश्रीना सत्समागम
तथा व्याख्यान श्रवणनो पण लाभ मळशे.
रूा. ०–१प न. पै. नी टिकिटो मोकली ता. २०मी एप्रिल सुधीमां
प्रवेशपत्र तथा नियमो मंगावी ता. १पमी मे सुधीमां ते विगतवार भरी
परत मोकलवो.
मोहनलाल वाघजी महेता
मंत्री
श्री जैन विद्यार्थी गृह – सोनगढ (सौराष्ट्र)

‘आत्मधर्म’ ना गतांकमां (फागण मासना अंकमां) भूलथी अंक नं. (२३०) छपायेल छे.
तेने बदले (२२१) सुधारवो.