Atmadharma magazine - Ank 225
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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: २६ : आत्मधर्म : २२प
नथी, शास्त्रनुं भणतर सम्यग्ज्ञान नथी, २८ मूळगुणनुं पालन ते आत्मानुं सम्यक्चारित्र नथी, ते बधो
व्यवहार छे.
अष्टसहस्रीमां कह्युं छे के परीक्षा करी देवादिनी आज्ञा ने माने ते सम्यक्त्वी छे जेम चतुर
व्यापारी बजारमां चीज लेवा जतां परीक्षा करे छे तेम अहीं हित अहितरूप पोताना परिणाम तेनुं
कारण, तेनुं फळ, उपादान–निमित्त, स्वभाव–विभाव, द्रव्य–गुण–पर्याय–आदिनुं स्वरूप समजीने परीक्षा
करवी जोईए. परीक्षा अने आत्माना भानविना मुनिपणुं लईने शुक्ललेश्या करीने जीव नवमी ग्रैवेयके
गयेल छे, छतां धर्म थयो नथी; ने आत्मानुं भान करे तो देडकुं पण सम्यग्दर्शन पामी शके छे. ज्ञानीने
पोतानी शक्ति अनुसार त्याग तप होय छे; हठ करे तो मिथ्याद्रष्टि थई जाय छे. जो साचा लक्षणवडे
मोक्षमार्गनी ओळखाण करे तो ते मिथ्याद्रष्टि रहे ज नहि. परंतु मुनिनुं साचुं स्वरूप न जाणे तो साची
भक्ति क््यांथी होय? न ज होय.
सोनुं कसोटी करीने ले छे;–तेम कसोटी करवी जोईए. धर्ममां कसोटी न करे तो न चाले. अज्ञानी
साचा मुनिना अंतरनी परिक्षा करतो नथी. मात्र बाह्य व्यवहारथी तथा शुभ क्रियाथी करी तेनी सेवाथी भलुं
थशे एम माने छे. परनी सेवानो भाव पुण्य छे, धर्म नथी. दयादान आदिना शुभभाव आवे तेनो निषेध
नथी पण तेमां मिथ्या मान्यतानो निषेध छे.
समाचार
परम उपकारी पू. गुरुदेव सुखशान्तिमां बिराजे छे, प्रवचनमां
सवारे समयसार सर्वविशुद्धज्ञान अधिकार, बपोरे मोक्षमार्ग प्रकाशक
अं. ३ चाले छे. समयसारना दरेक प्रवचनो टेपरिल रेकोर्डिंगमां लेवाय
छे. गा. ३०८ थी ३११ मां बहु सरस नवा नवा न्यायो आव्या हता
तत्त्वज्ञाननी निर्मळता, स्पष्टता वधती जाय छे.
दस लक्षणी पर्युषण पर्व–
सोनगढमां दर वर्षनी जेम भादरवा सुद पांचमने मंगळवार
ता. ४–१०–६२ थी शरू करीने भादरवा सुदी १४ ने गुरुवार ता. १३–
१०–६२ सुधीना १० दि. दस लक्षण धर्म अर्थात् पर्युषण पर्व तरीके
ऊजवाशे. आ दिवसो दरमियान दसलक्षण मंडळ विधान पूजन, तथा
उत्तम क्षमादि दसलक्षणधर्मो ऊपर गुरुदेवना खास प्रवचनो थशे.
धार्मिक प्रवचनना खास दिवसो–
श्रावण वद १३ सोम, ता. २६–९–६२ थी भादरवा सुद–४ ने
सोमवार ता ३–१०–६२ सुधीना आठ दिवस दरमियान पू. गुरुदेवना
खास प्रवचनो थशे.
वार्षिक बेठक–
श्री जैन अतिथि सेवा समितिनी वार्षिक बेठक भादरवा सुद
बीजना रोज मळशे. सौ सभ्योए हाजर रहेवा विनंती छे, गये वर्षे
चूंटायेला कार्यवाहकोने पण हाजर रहेवा विनंती छे.