तो जाणनार देखनार छुं, पोते ज्ञाता छे. अल्पराग, अल्पज्ञान, अने नबळाईनो स्वामी नथी. केमके
त्रिकाळीज्ञाता सबळ स्वभावना स्वामीत्वभावे परिणमे छे.
त्रिकाळी स्वभावमां अभाव छे. त्रिकाळी स्वभावमां विभावने रचवानी योग्यता नथी, एम न मानता
रागनो हुं कर्ता छुं, शुभराग ते मारुं कर्तव्य छे. परना कार्यों हुं करी शकुं छुं, एम माने ते पापद्रष्टि छे,
अधर्मद्रष्टि छे. भगवान आत्मा ज्ञाता छे. तेने रागना–परना काम सोंपवा ते चेतननो अनादर छे.
अनासक्तिथी परना काम करवा तेम माने छे, तेने परमां एकता बुद्धिनी तीव्र आसक्ति छे. अनासक्तिना
नामे परमां कर्त्तापणुं माने ज छे, हुं परथी जुदो ज्ञाता छुं एम ते मानतो नथी.
छे. तेथी परनो कर्ता नथी, पररूपे थनार नथी माटे कदी परना परिणाम साथे तन्मय नथी. जेमां तन्मय
नथी तेनो ते कर्ता थई शके नहीं. जेम कुंभार अहंकारथी माने के हुं घडानो कर्ता छुं पण खरेखर ते तेनो कर्ता
नथी. केमके माटी, माटीना घडा आदी आकारथी तद्रुप छे, कुंभार साथे तद्रुप नथी. माटे तेनो कर्त्ता कुंभार छे
नहीं छतां निमित्त देखीने कर्ता कहेवो ते व्यवहार छे. कोई जीव देहनी क्रियाओनो के वाणीनो कर्ता छे नहीं
छतां अहंकारी जीव माने छे ए अपेक्षाए तेने उपचारथी कर्तापणे ओळखावे छे. खरेखर कोई परना कार्यनो
कर्ता थई शकतो नथी. पण आ वात नक्की करे कोण? जुदा जुदामां परना कर्त्तापणाने जोनारो बे द्रव्योने
जुदा मानतो ज नथी.
कथन उपचार व्यवहारथी छे, दवानी शीशी, अमे कथन आवे पण एनो अर्थ ए कथन प्रमाणे नथी पण
व्यवहारनी ए रीते छे, तेम निमित्त देखीने एक द्रव्यने बीजाना कार्यनो कर्ता कहेवो ते एम नथी पण
व्यवहारथी कहेवा मात्र छे. खरेखर दरेक द्रव्य पोताना ज परिणामना कर्ता छे एम निर्णक करे तो ज नित्य
परिणामी द्रव्य अने क्रमबद्ध स्वतंत्र पर्यायनो ज्ञाता थई शके, स्वसन्मुख थई शके, रागादिनो अकर्ता–एटले
ज्ञाता ज छुं एवा असली स्वरूपमां विश्रान्ति लई शके.
परमां कर्तृत्व–ममत्वभाव राखीने जाणे छे तेथी पर वडे लाभ नुकशान माने छे, तेने स्वसन्मुख ज्ञातापणे
रहेवानो अंतरमां विश्रान्ति लेवानो अवसर नथी. “स्व प्रकाशक शक्ति हमारी तातै बचन भेद भ्रम भरी;
ज्ञेय शक्ति द्विविधा प्रकाशी स्वरूपा निजरूपा भासी.”
आत्मामां नथी. केमके परना कार्यनो कर्ता तो ते ज होई शके के जे तेरूप–तन्मयपणे परिणमे पण जीव
शरीररूपे–तेनी कोई अवस्थारूपे, पररूपे थई शकतो नथी. मात्र व्यवहारनयद्वारा निमित्त कर्ता कहेवाय छे ते
कहेवामात्र ज छे.
उत्तर:– ना, एक आकाश क्षेत्रे अनेक भेळा थाय