Atmadharma magazine - Ank 228a
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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: १० : : ब्रह्मचर्य अंक :
तो स्वयं आत्मसाधनामां लीन रहे छे, साथो साथ तेमना निकटवर्ती अनेक दीपको पण स्वयं जागृत थई
जाय छे. अनेक भव्य जीवोने तीर्थधाम सोनगढमां वास्तविक ज्ञायकस्वभावरूपी जीवनदान मळ्‌युं छे, मळे छे
अने मळतुं रहेशे......अनेक पुरुषार्थी भव्य जीवोए अपूर्व चैतन्य स्वभावी मार्गनुं आलंबन लीधुं छे अने
लेवा माटे तत्पर छे. तेना परिणाम स्वरूप अनेक प्रसंगो आवी चूकया छे. एक प्रसंग आ ब्रह्मचर्य
प्रतिज्ञानो पण छे.
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कलकत्ता–भाई अनंत, प्रताप अने भुपतराय तरफथी तार
आपणी पवित्र हृदयी धर्म बेनो आजीवन ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा अंगीकार करे छे ते मंगल प्रसंगे अमो
पूज्य श्री सद्गुरुदेवने शतशत कोटी वंदन पाठवीए छीए. तेओश्रीना दिव्य आशीर्वाद पूर्वक अने पवित्र
नेतृत्व नीचे आ प्रसंग उजवाय छे. अमारो अचल विश्वास छे के तेओश्रीनां आध्यात्मिक प्रवचनो वडे
तेमना आत्मामां प्रकाश फेलाव्यो छे के जे पूर्ण मुक्तिनी प्राप्ति थतां सुधी निरंतर वृद्धिंगत थतो जशे. तोफानी
समुद्रमां वहाणोने दोरवणी आपवा माटे दीवादांडीनी पेठे तेओश्रीना दिव्य अने आध्यात्मिक आशीर्वाद
आपणने पण दोरवणी आपो.
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जमशेदपुर–भाई शीवलाल अने भाई नवलचंद तरफथी. तार
आ शुभ अवसरे पूज्य श्री सद्गुरुदेवने अमारा शतशत प्रणाम–वळी अमो पवित्र धर्म बेनोने
विनय करीए छीए के जेओ आजीवन ब्रह्मचर्य पालननी द्रढ प्रतिज्ञा अंगीकार करे छे. तेमनुं आ कार्य तेमने
मुक्ति पंथे दोरी जशे. अमो खरा हृदयथी मानीए छीए के जेओ आ क्षणिक दुन्यवी बंधनोथी क्षति पामेला
छे, अने लौकिक रागना विषथी पीडायेला छे तेओ पूज्य श्री सद्गुरुदेवना पावन अने दिव्य संदेशथी
अवश्य मुक्तिने पामशे.
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