Atmadharma magazine - Ank 228a
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 7 of 38

background image
: ४ : : ब्रह्मचर्य अंक :
।। “ ।।
(सोनगढ, भादरवा सुद प रविवार ता. ९–९–प६)
गौरव लेवा योग्य जैन ईतिहासनो विरल प्रसंग.
परम पूज्य श्री सद्गुरुदेवनो प्रभावना उदय निरंतर वृद्धि पामी रह्यो छे. तेमना सत्समागम माटे घणा
मुमुक्षु भाईओ तेम ज बहेनो सोनगढमां कायम वसी रह्या छे, अने अनेक मुमुक्षुओ बहार गामथी आवता रहे
छे. तेओ यथाशक्ति–यथामति तत्त्वनुं स्वरूप समजवा प्रयत्न करी रह्या छे. पूज्य गुरुदेवना उपदेशामृतनुं पान
करनार अनेक भव्योमांथी छ कुमारी बहेनोए जीवनभर ब्रह्मचर्य पाळवानी प्रतिज्ञा संवत २००प ना कारतक
सुद १३ना रोज लीधी हती. आ वर्षना एटले के संवत २०१२ ना भादरवा सुद प रविवारे उत्तम क्षमाधर्मना
दिवसे ता. ९–९–प६ ना रोज बीजी चौद कुमारिका बहेनोए पूज्य गुरुदेव समक्ष जीवनभर ब्रह्मचर्य पाळवानी
प्रतिज्ञा करी छे. जैन ईतिहासनो आ एक गौरव लेवा योग्य विरल प्रसंग छे. चौदे बहेनो बाल कुमारिका छे,
नानी उंमरनां छे, खानदान कुटुंबनां छे. पुण्यनो आवो योग होवा छतां, तेमणे पोतानां माबापने पोतानां लग्न
करवानी ना पाडी, अने समजण पूर्वक वैराग्य लावी पोताना आत्मकल्याणनी भावनानी द्रढता माटे आजीवन
ब्रह्मचर्य पाळवानी प्रतिज्ञा लीधी, ते माटे तेमने घणा धन्यवाद घटे छे.
आ चौद बहेनोमांथी आठ बहेनो अत्रेना गोगीदेवी श्राविका ब्रह्मचर्य आश्रममां रहे छे, अने छ
बहेनो पोतानां माबाप के वालीओ साथे सोनगढमां कायम रहे छे.
आश्रममां रहेती आठ ब्रह्मचारी बहेनोनां नाम:–
(१) ललिता बेन उंमर वरस २६ (श्री धरमशी हरजीवन मणीआरनां सुपुत्री–वढवाण)
(२) जसवंतीबेन उंमर वरस २६ (श्री हीराचंद त्रीभोवनदास दामाणीनां सुपुत्री–सोनगढ)
(३) चंद्राबेन उ–व २६ (श्री छोटालाल डामरदासनां सुपुत्री–ध्रांगध्रा)
(४) पुष्पाबेन उ–व २४ (श्री छोटालाल डामरदासनां सुपुत्री–ध्रांगध्रा)
(प) पद्माबेन उ–व–२प (श्री केशवलाल महीजीभाई शाहना सुपुत्री–बोरसद
(६) ईन्दुबेन उ–व–२२ (श्री चीमनलाल भाईलाल डेलीवाळानां सुपुत्री–बरवाळा)
(७) सुशीलाबेन उ–व–२२ (श्री जगजीवन चतुरभाई शाहनां सुपुत्री–सुरेन्द्रनगर)
(८) उषाबेन उ–व–१८ (श्री जगजीवन बाउचंद दोशी ना सुपुत्री–सावरकुंडला)
पोताना वाली साथे सोनगढ कायम रहेती ब्रह्मचारी बेनोनां नाम
(९) सुशीलाबेन उ–व–२२ (श्री शांतिलाल गिरधरलाल शाहनां सुपुत्री–जोडीआ)
(१०) चंद्रप्रभाबेन उ–व–२३ (श्री रतिलाल पोपटलालना सुपुत्री–जामनगर)
(११) जसवंतीबेन उ–व–२१ (श्री रतिलाल पोपटलालनां सुपुत्री–जामनगर)
(१२) भानुमतीबेन उ–व–२१ (श्री खीमचंद जेठालाल शेठनां सुपुत्री–राजकोट)
(१३) जसवंतीबेन उ–व–२१ (श्री हिंमतलाल छोटालाल झोबाळियाना सुपुत्री–नागनेश)
(१४) वसंतबेन उ–व–२१ (श्री शीवलाल त्रीभोवनदास जमशेदपुरवाळानां सुपुत्री)
आ कुमारी बेनो वैराग्यवंत छे. तेमांनी घणी बेनो तो छेल्लां छ सात वर्ष थयां अत्रे कायम रहीने
पू. गुरुदेवनां प्रवचनो सांभळे छे, अने शास्त्र अभ्यास करी रह्या छे. पूज्य भगवती बेनोनी शीतल
छत्रछाया नीचे तेमज तेमनी माता समान वात्सल्य भरी देखरेख नीचे तेओ धार्मिक संस्कार लई रह्या छे.
तेमांनी घणी बेनोए जैन सिद्धांत प्रवेशिका, छ ढाळा, द्रव्य संग्रह, तत्त्वार्थसूत्रजी, मोक्षमार्ग प्रकाशक,
समाधितंत्र ईष्ट उपदेश, समयसार, प्रवचनसार, नियमसार, पंचास्तिकाय, अनुभव प्रकाश, पंचाध्यायी,
स्वामी कार्तिकेय अनुप्रेक्षा वगेरे सत्शास्त्रोनो अभ्यास कर्यो छे, अने करी रह्या छे. तेओनो नित्य कार्यक्रम –
पूज्य गुरुदेवनां व्याख्यानोनुं श्रवण, जिनेन्द्र भगवाननी भक्ति–पूजा, पूज्य बेनोनुं रात्रि वांचन श्रवण
वगेरे छे. तेओ अष्ट मूळ गुणनुं पालन करे छे, रात्रि भोजन करता नथी, कंदमूळ आदिनो त्याग छे.
यथाशक्ति उपवासादि तप करे छे. तेओ स्वयं प्रेरणाथी प्रेरित थईने ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा