Atmadharma magazine - Ank 230
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

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स. व. ण. प. र स. म. च. र
परम उपकारी पू. गुरुदेव सुखशातामां बिराजमान छे.
प्रवचनमां सवारे मोक्षमार्ग प्रकाशक, बपोरे समयसारजी शास्त्र गाथा
१४मी चाले छे. कार्तिक वदी अमास सवारे “छहढाला” (कविवर श्री पं.
दौलतरामजी कृत) स्वाध्यायमां लेवामां आवेल.
पूज्य गुरुदेवनो विहार हाल बंध रहेल छे.
अष्टाह्निका महोत्सवमां श्री नंदीश्वर पूजा विधान तथा श्री
रत्नत्रयपूजन उत्साहथी शरू करीने तेनी पूर्णता कारतक सुद १पना रोज श्री
जिनेन्द्र भगवानने कळशाभिषेक उत्सव सहित थई.
*
खास धर्म प्रभावनाना समाचार
(१) श्री बाबुलाल चुनीलाल फतेपुरवाळा गुजरातना दि०
जैनसमाजमां विशेष मान्य छे, तेओ तत्त्वप्रेमी अने जैनधर्मना मनोज्ञवक्ता
छे. तेमना अग्रेसरपणामां धार्मिक दिवसो दरमियान कोई प्रसिद्ध सिद्धक्षेत्रनी
यात्रार्थे मोटी संख्यामां गुजरातीओनो यात्रा संघ नीकळे छे. तेमां हंमेशा त्रण
कलाक प्रवचन तथा तत्त्वचर्चा उपरांत श्री जिनेन्द्र पूजन भक्ति आदिनो
कार्यक्रम होय छे.
आ साल कार्तिक मासमां ६०० यात्रिको सहित सिद्धवरकूट यात्रा
जवानुं थतां त्यां आशरे १प०० भाईबहेनो आवेल हता. मार्गमां ईन्दौर,
बडवानीजी, खंडवा, सनावद, उन–पावागीर, बीकन, उदयपुर, जांबुडी मुकामे
तेमनो संघ जतां घणी सारी प्रभावना थई.
परम उपकारी पूज्य गुरुदेवद्वारा सर्वज्ञ वीतराग कथित मोक्षमार्गनुं जे
स्वरूप बताववामां आवे छे तेनुं सुंदरअने स्पष्टपणे वर्णन करीने श्री
बाबुभाई धर्मप्रभावनामां जे सुंदर फाळो आपी रह्या छे, तेना उत्साहभर्या
समाचार दरेक गामथी खूबखूब विस्तारथी आवेला छे. सिद्धवरकूटमां
सिद्धचक्र मंडलविधान करवामां आव्युं हतुं, आठ दिवस सुधी श्री
बाबुभाईद्वारा दिवसमां त्रणवार प्रवचन थतां; तत्त्वचर्चा, अनुपम भक्ति,
पूजानो कार्यक्रम पण राखवामां आव्यो हतो, आ बधुं प्रत्यक्ष जोईने सोनगढ
प्रत्ये जेमणे जूठी कल्पनाओ करी राखेल हती ते दूर थवा पामी छे.
श्री सिद्धवरकूटमां श्री बाबुभाईने सांभळवा माटे खंडवा आदि
निमाड प्रदेशना भाई–बहेनो मोटी संख्यामां आवेला तेओ खूब प्रभावित
थयेला, यात्रा संघ काढनार जांबुडीवाळा श्री छबालाल मलुकचंद कोटडिया
हता, सिद्धवरकूट सिद्धक्षेत्रने गुजरातना
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