Atmadharma magazine - Ank 231
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

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पोष: २४८९ : :
पूर्णताने लक्षे
अफर शरुआत
(वि. सं. २०१९ना कारतक सुदि १ सोमवार, बपोरना प्रवचननीप्रसादी.
श्री समयसारजी मंगळाचरण करतां आचार्यदेवे स्व–परना आत्मामां अनंता सिद्ध
परमात्मानुं स्थापन करेल छे. तेमने ज उत्कृष्ट अने साध्यपणे ओळखीने नमस्कार–आदर सहित
स्विकार्या छे. हुं जेम पूर्ण साध्यने मारा आत्मामां स्थापीने शुद्धात्मनुं वर्णन करीश तेने
यथार्थपणे सांभळे, प्रमाण करे तेने ज हुं समयसारना श्रोता कहुं छुं. पोताना परमात्म पदथी
एकत्व अने मिथ्यात्वादि आस्रवोथी विभक्त पूर्ण स्वरूपने हुं दर्शावुं छुं तो तेने सांभळनारा पण
यथातथ्यपणे ग्रहण करीने प्रमाणे करे एवा होवा जोईए; आचार्यदेव तेवा लायक श्रोताने
संभळावे छे.
कोई कहे अमारे सारूं (कल्याण) करवुं छे पण अत्यारे नहीं, अथवा आवी वात नहीं,
शुद्धात्माना आश्रयथी ज कल्याण थाय ए वात अत्यारे नहीं; पण प्रथम पुण्य करवानुं बतावो,
निमित्तनुं आलंबन बतावो तो तेने सत्यनो आदर नथी–रागनो आदर छे त्यां वीतरागना
मार्गनो तीरस्कार छे.
प्रथम व्यवहार पछी निश्चय एम नथी. शुद्धात्मानी ओळखाण अने तेना आश्रय विना
सम्यग्ज्ञान अने निश्चय व्यवहार कोईने होता नथी. अहीं तो प्रथमथी ज अल्पज्ञता, राग अने
निमित्तना आश्रयथी लाभ मानवानी बुद्धि छोडवा माटे त्रिकाळी पूर्ण परमात्मस्वभावी आत्मानो
ज आदर कराव्यो छे, अने शुद्धात्माना आश्रयथी ज लाभनी शरुआत थाय छे–ए बताववुं छे;
तेमां अनंता सिद्ध परमात्माने याद कर्या छे. वर्तमान अल्पज्ञ पर्यायमां अनंता सिद्ध परमात्माने
बिराजमान करीने, साक्षीपणे स्थापन करीने वात छे. “पूर्णताने लक्षे शरूआत,” अमे एनी
खात्री आपीए छीए. अनंता सिद्ध परमात्मानो आदर करवा सावधान थयो ते धर्म जिज्ञासु जीव
साध्यरूप पूर्ण स्वरूपने ज उपादेय माने छे; नित्यना लक्षे सिद्धपदनो आदर करनारनो भाव
उपाड्यो ते हवे शुभाशुभ विकल्प, व्यवहार (पराश्रय) नो आदर न थवा दे एवा श्रोताने श्रोता
गणवामां आव्या छे, बीजाने नहीं. अरे! प्रथमथी ज आवी मोटी वात! अमारी पाचनशक्ति
अल्प छे. ते सिद्ध परमात्मा थवानी वात अत्यारे न पचावी शके–एम माने छे ते सत्य श्रद्धा
करवा माटे नालायक छे.
प्रथमथी ज एकत्व विभक्तनी वात छे. प्रथमथी ज डंकानी चोंटे सत्यनुं श्रवण अने तेना
वाच्यभूत परमार्थनी हा पाड. अल्पज्ञ पर्यायमां पूर्ण परमात्मपदनो आदर ते ज करी शके छे के
जेने अल्पज्ञता, मिथ्यात्व अने शुभाशुभ रागनो आदर नथी.