
परिणामशक्ति नामक गुणनुं–परमात्मपुराणमां श्री दीपचंदजी साधर्मीए
परमात्मराजाना नगरनी प्रजाना रक्षकना रूपमां वर्णन कर्युं छे.)
हवे परिणाम कोटवाळ (नगररक्षक) नुं वर्णन–परिणाम कोटवाळ मिथ्यात्व परिणाम,
– पोताना स्वरूपरूप परिणामनो द्रोही छे, पररूपमां सावधान थाय छे, परपदनो निवास पामीने
आत्मनिधिरत्न चोरवा माटे चतुर छे. मिथ्यात्व रागादिरूप अवस्था वडे अनाकुल सुखनो संबंध जेने
कदि थयो नथी. पररस–शुभाशुभ रागना रसनो रसिक छे, संसार जीवोने अति कठिन छे तो पण तेने
प्रिय लागे छे. पररस केवो छे? बंधनकारक, पराधीन छे, विनाशीक छे. अनादि सादि पारिणामिकताने
लीधे परम्पपरा अनादि छे. एवा परपरिणामनो प्रवेश–परिणाम कोटवाळ थवा देतो नथी.
स्वपरिणाम कोटवाळे परमात्माराजानी प्रजानी संभाळ दरेक समये करी छे तेथी तेनुं महान जतन
(रक्षण) छे.
गुणप्रजानी अने परमात्म राजानी दरेक समये संभाळ राखे छे. सर्वगुणना घरमां प्रवेश करीने तेना
निधानने सिद्ध करीने प्रत्यक्ष तेओनो प्रभाव प्रगट करे छे. आ कोटवाळमां एवी शक्ति छे के जो जरा
वक्र थाय तो राजाना बधाय पद