Atmadharma magazine - Ank 232
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

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सुवर्णपुरी समाचार
परम उपकारी पू. गुरुदेव सुखशातामां बिराजे छे. प्रवचनमां सवारे
प्रवचनसारजी शास्त्र गाथा १३ तथा बपोरे श्री समयसारजी शास्त्र गाथा ४९ चाले छे.
पू. गुरुदेवनो विहार सौराष्ट्रनां शहेरोमां थवा संभव छे. आ विहार फागण
सुद छठना शरू थशे अने त्रण मास माटे हशे, कार्यक्रम हवे पछी निश्चित थशे. प्रथम
राजकोट विहार थशे.
स्व. पंडितप्रवर श्री टोडरमल्लजी कृत रहस्यपूर्ण चिठ्ठी, स्व. कविवर पं.
बनारसीदासजी कृत परमार्थ वचनिका तथा उपादान–निमित्त चिठ्ठी उपर गया मासमां
पू. गुरुदेव द्वारा अति सूक्ष्म अने प्रयोजनभूत तत्त्वज्ञानने स्पष्ट करनारां प्रवचनो
थयां हतां.
पू. गुरुदेवनी डाबी आंखे नीडलिंग कराववानी जरूर छे के केम तेनो निर्णय
करवा माटे मुंबईथी डो. श्री चीटनीस ता. ३–र–६३ ना रोज आवेला. तेमणे
बारीकाईपूर्वक तपास करीने जाहेर कर्युं के नीडलिंग करवानी जरूर नथी. आ
समाचारथी बधा मुमुक्षुओ अत््यंत आनंदित थया हता.
वैराग्य – समाचार
वांकिया (सौराष्ट्र) ना रहीश कलकत्ता निवासी भाई शांन्तिलाल उजमशी
खारानो प१ वर्षनी उंमरे लगभग चार मासनी कमळानी बीमारीथी ता. १३–१–६३
ना रोज अमदावादमां स्वर्गवास थयो छे. स्व. श्री शांन्तिभाईने पू. गुरुदेव प्रत्ये घणो
भक्तिभाव हतो. पू. गुरुदेवना दर्शन करवा तथा जन्मदाहविनाशिनी परम अमृतमय
गुरुवाणीनो लाभ लेवा माटे तेओ अनेकवार सोनगढ आवता हता. गत असाढ
मासमां आवेला त्यारे पू. गुरुदेवनी वाणी सांभळीने तेमनुं हृदय उल्लासथी भराई
आव्युं हतुं अने गद्गद् वचने पू. गुरुदेवनां चरणोमां मस्तक नाखीने बोल्या हता के:
‘हे प्रभो! आपे तो अमने न्याल करी दीधा,..... आपे तो अमने आ संसारना
खाडामांथी ऊंचकी लीधा.. अहा! आवी वाणी, प्रभो! अहीं सिवा्य बीजे क्यांय
मळती नथी..’ आ प्रमाणे पोतानो हर्ष–आनंद बतावी, तत्त्व प्रत्येनी पोतानी रुचि
व्यक्त करी हती. तेमने आत्मधर्म तथा पू. गुरुदेवनां प्रवचनो वगेरे साहित्यना
वांचननो पण सारो्र प्रेम हतो. सद्देव–गुरु–धर्मनी रुचिना फळस्वरूपे आत्मस्वरूपनी
आराधना करी शान्तिभाईनो आत्मा शिध्र कल्याणपद पामे एवी अभ्यर्थना सहित
तेमना कुटुंबीजनो प्रत्ये समवेदना प्रगट करीए छीए.
धर्म पर्व माटे जरूरी सूचना.
अष्टान्हिका पर्व आदि दिवसोमां जे मुमुक्षुमंडळने प्रवचनकार विद्वाननी जरूर
होय तेओ पत्र व्यवहार करे लखो :
श्री प्रवचन प्रचारविभाग
श्री दि. जैन मुमुक्षु महामंडळ
ठे. श्री दि. जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट,
सो न ग ढ (सौराष्ट्र).