वीतराग मुद्राधारी अने घणी प्राचीन छे... गुरुदेवे जीवनमां ६७ वर्षे पहेलीज वार अर्घ चडाववानी
शरूआत अहींथी करी. (अंकलेश्वर)... श्रुतधर सन्तोनी आ पावन भूमि बहु वहाली लागती हती.. जे
भूमिमां श्रुतनो महान उत्सव ऊजवायो अने ज्यां महान श्रुतधर संतमुनिवरो विचर्या ते श्रुतभूमिमां
आजे गुरुदेव जेवा श्रुतधर संतने विचरता देखीने सौ भक्तो बहु आनंदित थता हता.
दर्शन कर्या.. जाणे गुरुदेवना आगमने आखा मुंबईने आश्चर्यथी थंभावी दीधुं हतुं. जेम आत्मानी धून
आडे संसारनो मोह ऊडी जाय तेम तीर्थयात्रानी धून आडे मोहमयी मुंबई नगरीनो मोह ऊडी गयो.
आखो दिवस बधा यात्रिको यात्रानी तैयारीमां ज गुंथाई गया– जेम खरा आत्मार्थीनुं हृदय आत्मानी
शोधमां ज गुंथाई जाय तेम. यात्रिकोने भणकार वागता के जाणे सम्मेदशिखर उपरथी कोई संतो साद
पाडीने बोलावी रह्या छे... ने विपुलाचलना शिखरेथी’ कारध्वनिना मोजा काने अथडाई रह्या छे!
भरतक्षेत्रना शाश्वत तीर्थधामनी मंगलयात्रा माटे आजे प्रस्थान थाय छे... भक्तोना हृदयनी भावना
आजे पूरी थाय छे.
मुनिवरो अहीं विचर्या छे ने गुरुदेव साथे आपणा धर्मपिताना धाममां ज आपणे आव्या छीए– एम
ज सौने लागे छे.
साथे अपूर्व यात्रा थाय छे ने अमने सिद्धभगवान देखाडे छे– एवा अनंदतरंगथी सौनां हृदय
उल्लसता हता. गुरुदेव साथे यात्रा करवानी होंसमांने होंसमां यात्रिको विकट मार्गने ओळंगी जता,
जेम मोक्षार्थी जीव मोक्ष लेवानां उत्साहमां वच्चे आवी पडता विभावोने ओळंगी जाय छे तेम.
होय छे ते व्यक्त थती हती... ने मुमुक्षु श्रोताओ तो मुग्ध बनी जता हता.
गुरुदेव भगवानना नानकडा नंदन जेवा शोभता हता... जिनेन्द्रदेव अने तेमना लघुनंदनना मिलननुं
आ भावभीनुं द्रश्य जोईने यात्रिको हर्षथी जयजयकार करता हता.
गया छे.. ने तीर्थस्वरूप संतोनी साथे मंगल तीर्थयात्रानो महान लाभ लई रह्या छे.