Atmadharma magazine - Ank 233
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

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सु व र्ण पु री स मा चा र
परमउपकारी पू. गुरुदेव सुखशातामां बिराजे छे. प्रवचनमां सवारे
प्रवचनसार शास्त्र गा. र३–र४ तथा बपोरे श्री समयसार शास्त्र गा. ६३–६४
चाले छे. बुन्दि, जयपुर तथा ललितपुरथी तीर्थयात्री संघ मोटी संख्यामां आव्या
हता, खास गुरुदेवना प्रवचन सांभळवा रोकाया हता.
श्री गोगीदेवी ब्रह्मचारीणि श्राविकाश्रममां स्वाध्याय होल बंधाय छे.
पूज्य गुरुदेवनो पुनित विहार
मार्च वैशाख सुदी बीज : जन्मजयंति
सोनगढथी फागणसुदी ६ ता. १ली मार्च
शुक्रवारे मंगळ प्रयाण
राजकोट : १ थी २२
चोटीला : २३–२४
थानगढ : रप
मोरबी : र६ थी ३१
एप्रील
वांकानेर : १ थी ६
जामनगर : ७ थी १०
गोंडळ : ११–१२
जेतपुर : १३–१४
वडिया : १प–१६
वींछिया : १७ थी २०
लाठी : २१ थी २प
सुरेन्द्रनगर : र६ थी र९–४–६३
जोरावरनगर : ३० थी ६–मे ६३
(जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा
उत्सव वैशाख सुदी. १३)
वढवाण शहेर : ता. ७ थी ९–मे–६३
लींबडी : ता. १० थी १र मे ६३
दहेगाम : ता. १३ थी १६ मे ६३
(जिनेन्द्र वेदी प्रतिष्ठा उत्सव वैशाख व. प)
अमदावाद : ता. १७ थी २० मे ६३
राणपुर : २१ थी २३ मे ६३
बोटाद : र४ थी र७ मे ६३
(जिनेन्द्र वेदी प्रतिष्ठा उत्सव, जेठ सुदी प)
पाटी : ता. र८ मे ६३
गढडा : र९ मे ६३
ऊमराळा : ३० थी ३१ मे ६३
सोनगढ मंगळ आगमन
ता. १–६–६३ जेठ सुदी १०
चक्रवर्तीनी समस्त संपत्तिथी पण जेनो मात्र एक समय पण विशेष
मूल्यवान छे एवो आ मनुष्यदेह अने परमार्थने अनुकूल एवो योग संप्राप्त
थवा छतां पण जो जन्ममरणथी रहित एवा परम पदनुं ध्यान राख्युं नहीं तो
मनुष्यत्वने अधिष्ठित एवा आत्माने अनंतवार धिक्कार हो!
(श्रीमद् राजचंद्र)