फागण: २४८९ : प :
बीजा कोई पण मतमां आवुं वर्णन न होय, अनंता जीव–पुद्गळ एकक्षेत्रे भेगां रहेता होवां
छतां बेउनी परिणति जुदी जुदी स्वतंत्र ज छे तेनुं वर्णन.
निगोद दशामां एक क्षेत्रे अनंत जीव बधाय एक श्वास जेटला काळमां १८ वार जन्मे मरे,
आयु श्वास आहार अने ईन्द्रिय ए चारे प्राण अनंताना एक छतां दरेक जीव द्रव्यनी पर्याय दरेक
समये जुदे जुदी कोईना परिणाम कोई बीजाथी मळता न आवे. अहो! केटली स्वतंत्रता! अनंतकाळथी
एक शरीरमां रहेनारामांथी केटलाक शुभभावरूप परिणाम करी मनुष्य पण थाय, केटलाक अन्य पर्याय
धारण करे अथवा त्यां ज रहे; कोईने कोईनुं कारण लागु पडतुं नथी. ए ज रीते, जुदा जुदा रूपे दरेक
पुद्गळ द्रव्यनुं परिणमन छे ते पण बीजा साथे मळतुं आवे नहीं.
एक जीव द्रव्यनी जे प्रकारनी अवस्था जे समये उपजी ते ज समये तेना अनंता गुणोनी
अवस्था तेने योग्य थाय ज छे, तेमांथी कोई पण अवस्था बीजा जीव साथे मळती आवे. नहीं. एक
जीवनी अर्थ पर्यायो अने व्यंजन पर्याय बीजा जीवथी कदी मळती आवे नहीं. कदि अंगूलना असंख्यमे
भागे हीन अवस्था थई जाय, कदि महामच्छ एक हजार योजननो थाय ज्ञानादिनी पर्याय पण दरेक
समये जुदी ज छे. ८, ९, १० मां गुणस्थाने चारित्रगुणनी पर्यायमां अमुक समानता कोई प्रकारे छे
पण सर्वथा मेळ न होय, आकारमां कोई जीव समान देखाय पण सूक्ष्मपणे फेर होय ज छे.
एकोऽहंवहुस्याम्ः– हुं एक छुं, हवे बहुरूपे थाउं एम नथी, सर्वव्यापक एक अद्वैत आत्मा ज
छे ते बधामां वसी रह्यो छे एम पण नथी ज. जीव आत्मा त्रणकाळे अनंता छे दरेकनी सत्ता शक्ति
एटले गुण अने गुणनी थती पर्याय एटले नवी नवी अवस्था ते जुदी जुदी छे.
केवळज्ञान एटले परमात्मदशा प्रगट थया पछी पण अनंतानी मध्यमां रह्यो छतां दरेकना
आकारमां फेर छे. केवळज्ञानादि नव केवळ लब्धि वगेरेमा समानता होवा छतां सूक्ष्मपणे कोई प्रकारे
फेर होय छे– आम दरेक जीवनुं परथी अन्य अवस्थारूप स्वतंत्र ज परिणमन होय छे. आ प्रमाणे
अनंतानंत स्वरूप जीव द्रव्य अनंतानंत अवस्थापूर्वक वर्ती रह्यां छे. जुओ संसार दशा दशा छतां सर्व
प्रकारे स्वतंत्र. एक एक आत्मा आवडो मोटो छे एम जाणी, क्षणिक विभावनो आदर, आश्रय छोडी,
त्रिकाळी एकरूप पूर्ण ज्ञानघन शुद्ध ज्ञायक छुं एम निर्णय करे तो परथी मने लाभ नुकशान नथी,
पराश्रयथी, रागथी लाभ नथी, नुकशान ज छे एम जाणे अने हितनुं कारण पोते ज छे एम जाणी
पोताना अखंड स्वरूपमां द्रष्टि ज्ञान अने एकत्व करनारो थाय– एनुं नाम साचो धर्म छे.
सत्य हकीकत शुं छे ते प्रथम जाणवुं पडे छे. जेम जीव अनंता स्वतंत्र अस्तित्व सिद्ध पदार्थ छे,
ए ज प्रमाणे सर्व पुद्गळ द्रव्यो पण छे. एक पुद्गळ परमाणु एक समयमां जे प्रकारनी अवस्था
धारण करे ते अन्य पुद्गळथी मळती आवे नहीं; तेथी पुद्गळ द्रव्यनी – प्रत्येक परमाणुनी प्रत्यक
समये अन्य अन्यता जाणवी. जुओ, स्वयं सिद्ध पणे. दरेक पदार्थ पोताथी ज छे, परथी नथी– आनुं
नाम सर्वज्ञ वीतराग कथित साम्यवाद छे. बहारमां साम्यवादनी वातो करनारा देखे के क््यां साम्यवाद
छे.
हवे जीव द्रव्य. पुद्गळ द्रव्य एक क्षेत्रावगाही पणे अनादिकाळथी धातु पाषाणनी जेम छे, तेमां
विशेष एटलुं के जीव द्रव्य एक अने पुद्गळ परमाणु द्रव्य अनंतानंत, चलाचलरूप, आगमन
गमनरूप, अनंताकार, अनंत प्रकारना परावर्तन स्वरूप – परिणमनरूप बंध मुक्ति शक्ति सहित वर्ते
छे ते बधाय तेनाथी ते प्रकारे वर्ते छे; जीवथी बंधाय अने छूटवा पामे एम नथी. बंधावुं=स्कंधरूपे
संघातरूपे थवुं के एकला भेदरूपे, मुक्तरूपे थवुं के भेद संघातरूपे थवुं के एकला भेदरूपे, मुक्तरूपे थवुं के
तेनी दरेकनी स्वतंत्र शक्ति छे (अशुद्ध अवस्थामां पण कर्ता, कर्म, करण आदि