Atmadharma magazine - Ank 234
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

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: १२ : आत्मधर्म : २३४
नथी – एम सर्वज्ञ भगवानना आगममां कह्युं छे. बहारमां भले धर्मना नामे त्यागी होय, ब्रह्मचर्य
पाळतो होय, क्रोध न करे, शुद्ध एटले अतिचारना दोष न लागे एवा ब्रह्मचर्यादि व्रत पाळे छतां
रागथी लाभ माने छे, तेने आत्मामां जराय संयतपणुं नथी, अने तेने मोक्षमार्गमां गण्यो नथी. जेना
फळमां नवमी ग्रैवेयक जाय एवा शुभ रागने (व्यवहारने) पाळे छतां ऊंडे ऊंडे तेनाथी लाभ माने छे
तेथी तेने पण विषयोनी अभिलाषा विद्यमान छे. निर्मळ विज्ञानघन द्रव्य स्वभावना आश्रयथी ज
लाभ छे एम न मानतां मंदकषाय–शुभरागथी लाभ मान्यो तेने रागनी भावना छे. मंदरागथी थोडो
तो लाभ थाय ने? तेने कहे छे के तारी द्रष्टि अने ध्येय रागादि आस्रव तत्त्व छे, जे बंधनुं कारण छे.
जे भावथी नवुं बंधन थाय ते भावे कोईने, कोई काळे, कोई प्रकारे धर्म न थाय एवुं अनेकान्त
वीतरागना मार्गमां छे – एम आगममां फरमाव्युं छे. आत्महित माटे आ वातनो निर्धार करे तो ज
स्व सन्मुख थवानी, निर्मळ श्रद्धा–ज्ञान अने अनुभव करवानी ताकात आत्मामां प्रगट थई शके छे.
प्रथमथी ज सत्यनो स्विकार करवानी वात छे.
स्व. नानालालभाईने स्मरणांजलि
ता. ८–३–१९६३ना रोज राजकोट श्री दिगम्बर जिनमंदिरना कम्पाउंडना एक
शोकसभा मळी हती. तेमां श्री नानालालभाईनी उदारता, सज्जनता, धर्मरुचि,
अमीरात, गंभीरता, पीठपणुं, संस्कारीता, सौम्यता आदि गुणो जे तेमणे पोताना
जीवनमां उतार्या हता तेनी प्रशंसा करी तेमणे श्रद्धांजलि आपवामां आवी हती अने
त्यारबाद एक शोक प्रस्ताव पसार करवामां आव्यो हतो.
ता. १०–३–६३ ना रोज श्री रामजीभाई दोशीना प्रमुखपदे राजकोटना
शहेरीओनी एक सभा बोलाववामां आवी हती. आ सभामां पू. गुरुदेव श्री उपरांत
पू. बहेनश्री बहेन, श्री भक्तिबा, दि. जैन मंदिरनो आखो्र संघ, आगेवान नागरिको,
श्री नारणदासभाई गांधी वगेरेए हाजरी आपी हती.
श्री पुरुषोत्तमभाई गांधी तथा श्री वजुभाई शाहे स्वर्गस्थना महान गुणो याद
करी स्मरणांजलि आपी हती.
पू. गुरुदेवे श्री नानालालभाईने योग्य आत्मार्थी, मुमुक्षु, निर्मानी, विचक्षण,
विवेकी, शान्त, प्रौढ अने आत्महितनी लगनीवाळा, घणी सहनशक्तिवाळा अने
अमीर माणस तरीके संबोध्या हता अने तेमना आदर्श जीवननुं स्मरण कराव्युं हतुं.
श्री खीमचंदभाईए अनेक धार्मिक संस्थाना स्तंभरूप श्री नानालालभाईना
अवसानथी शोक नहीं मानता तेने वैराग्य स्वरूपमां फेरवी, तेओए पू. गुरुदेवश्रीनो
उपदेश पचावीने जे प्रशंसनीय उमदा जीवन जीवी बताव्युं तेना वर्णन उपरांत तेमनुं
नाम नाथालाल होवा छतां तेमणे जे महान कार्यो करी बताव्यां तेनी प्रशंसा करी हती.
जे गुणो तेमनामां हता ते पोताना जीवनमां उतारवा ए ज तेमनुं साचुं स्मरण छे,
एम कही तेमने श्रद्धांजलि अर्पी हती.
त्यारबाद प्रमुखश्री रामजीभाईए स्वर्गस्थना परिचय उपरांत तेमना जीवन
उपर विशेष प्रकाश पाड्यो हतो. तेमनुं नीडरपणुं, अनिंद्यपणुं, सदेखापणुं वगेरे गुणोनुं
वर्णन कर्युं हतुं अने तेमनामां रहेली गृहस्थोचित महानतानी प्रशंसा करी हती,
त्यारबाद एक शोक प्रस्ताव करवामां आव्यो हतो.