Atmadharma magazine - Ank 235
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 14 of 53

background image
आत्मधर्म : ११ :
मंगल जन्मोत्सव अंक
निराकूळ छे; वळी गमे तेवी प्रतिकूळतामां पण ते ज्ञानज्योति डगती नथी, –ते अत्यंत
धीर छे, अने ईन्द्रियोनी के रागनी सहाय वगर ज ते स्व–पर समस्त पदार्थोने जाणे
छे. आवी ज्ञानज्योति प्रगटी ते महा मंगळ छे.
*
आ कर्ताकर्म–अधिकार केवो छे?
आ ७६ गाथानो अधिकार भरतक्षेत्रमां अजोड छे. ते कर्ता–कर्मनुं स्वरूप स्पष्ट
समजावीने भेदज्ञान करावे छे अने विकार साथे कर्ताकर्मपणानी प्रवृत्तिरूप अज्ञानने
छोडावे छे.
*
ज्ञानीने केवुं कर्ताकर्मपणुं छे?
ज्ञानीने पोताना ज्ञानमयभाव साथे ज कर्ताकर्मपणुं छे. ज्ञानीना बधाय भावो
ज्ञानमय छे. ज्ञानथी भिन्न परभावो साथे के परद्रव्यो साथे ज्ञानीने कर्ताकर्मपणुं नथी.
आत्मा ज्ञानस्वरूप छे, तेनुं कार्य पण ज्ञानमय ज होय, क्रोधमय न होय माटे,
ज्ञानस्वरूप आत्माने जाणनार ज्ञानीने पोताना ज्ञानभाव साथे ज कर्ताकर्मपणुं छे.
*
कया जीवने कर्मोनुं बंधन थाय छे?
जे जीव चैतन्यस्वरूप आत्माने आस्रवोथी भिन्न नथी जाणतो अने क्रोधादि
आस्रवोमां लीनपणे वर्ते छे ते जीव अज्ञानभावने लीधे कर्मोथी बंधाय छे, –एम
भगवान सर्वज्ञदेव कहे छे.
*
आत्माने अने ज्ञानने केवो संबंध छे?
आत्माने अने ज्ञानने तादात्म्यसिद्ध संबंध छे, एटले तेमने जुदाई नथी;
आत्मा पोते ज्ञानस्वरूप छे, ने ज्ञान ते आत्मस्वरूप छे, –ए रीते ज्ञानने अने
आत्माने एकतारूप तादात्म्यपणुं छे.
*
ज्ञानक्रिया केवी छे?
आत्मा ज्ञानास्वरूप छे एम जाणीने ते ज्ञानमां निःशंक रीते पोतापणे वर्तवुं ते
ज्ञानक्रिया छे. अने ते ज्ञानक्रिया तो आत्माना स्वभावभूत छे; ते आत्मा साथे अभेद
छे, तेने आत्माथी जुदी पाडी शकाती नथी.
*
मोक्षमार्गमांथी कई क्रियाने निषेधवामां आवी नथी?
ज्ञानक्रियाने मोक्षमार्गमांथी निषेधवामां आवी नथी.
* कई क्रियाने मोक्षमार्गमांथी निषेधवामां आवी छे?
क्रोधादि साथे एकत्वपणे वर्तवारूप जे करोतिक्रिया छे ते मोक्षमार्गमांथी
निषेधवामां आवी छे.