जीवो उपर गुरुदेवे महान उपकार कर्यो छे. आ जगतमां महान दुर्लभ एवो
धर्मात्मानो सुयोग गुरुदेवना ज प्रतापे जिज्ञासु जीवोने संप्राप्त थयो छे. आ
हळहळता कळिकाळमां धर्मात्मानो साक्षात् योग निरंतर मळवो ए तो खरेखर
रणमां रखडता तृषातूरने अमृतना धोरिया मळवा जेवुं छे. जेम माबापनी
हाजरी पण बाळकने प्रसन्नकारी ने हितकारी छे तेम धर्मात्मानो योग मुमुक्षु
जीवने प्रसन्नकारी ने हितकारी छे. अहा! जे महापुरुषना प्रतापे भवभ्रमणथी
छूटवानी दिशा सूझी होय, जे संतना निमित्ते सत्य धर्मनी प्रात्पि थई होय, जे
मंगलमूर्तिना प्रसादथी आत्मकल्याणना आशीर्वाद मळ्या होय, ते महात्माना
जन्मोत्सव–प्रसंगे भक्तहृदयनी सितार असंख्य प्रदेशना तारोथी झणझणी ऊठे
छे. हे गुरुदेव! आप अनारा धर्मपिता... ने अमे आपनां बाळक... अमारा
जीवननुं महा सौभाग्य छे के अमे आपना परिवारना थया. हवे सदाय आपनी
साथे ने साथे ज रहीने आपनी मंगल छायामां आपना आशीर्वादथी
सम्यक्त्वादि आत्मलाभने साधीए... एवी आ मंगलदिने अभ्यर्थना करीए
छीए.