१०. करे छे ते व्यवहारभावोने सदाय गौण अने आपे छे ज्ञायकभावने सदाय मुख्यता.
११. छे ते सदाय मुक्तिनो महामुमुक्षु अने विकारी भावोनो विजेता.
१२. पावन यात्रिक बन्यो छे ते अनेक तीर्थंधामोनो अने सिद्धक्षेत्रोनो.
१३. अनेक भव्योना संसारविष ऊतर्यां छे जेमनी परम अमृतमय वाणीथी.
१४. वहेवडाव्या छे श्रुतज्ञानना धोरिया जेमणे अने तेथी शुद्ध बन्यां छे तेमां स्नान करनार
१६. अंतर उल्लसित थयां छे अनेक मुमुक्षुओनां जेमनी अमोध आत्मानुभवपूर्ण
१८. अध्यात्मनिधानी खुल्लां मूक््यां छे जे चैतन्यऋद्धिधारीए.
१९. अध्यात्मश्रुतसागरमांथी वीणीने जगत समक्ष प्रगट कर्यां छे अनेक महामूल्यवान सिद्धांत
२३. अंतरंग चैतन्यअंगमां अभंग छलंग मारवा जेओ सतत प्रयत्नशील रहे छे.
२४. सहजानंदमय परिणतिनो जेओ तादश चितार आपे छे.
२प. स्थपायां छे अनेक भव्य जिनमंदिरो जेमना परमपुनित प्रतापे.
२६. पावन बन्यां छे अनेक शहेरो जेमना पवित्र चरणकमळथी.
२७. आधर्यां अनेक जीवोए ब्रह्मचर्य जे कुमार ब्रह्मचारीना सदुपदेशथी.
२८. सिद्धपदप्राप्तिनो छे ते पावन पथिक.
२९. छे ते जैनन्द्रतत्त्वज्ञाननो महान प्रचारक.
३०. छे ते आदर्श आत्महितसाधक.
३१. छे ते चैतन्यवैभवधारी अने आत्मसमृद्धिनो स्वामी.
३२. वर्ते छे सुयोग जेमने पुण्य अने पवित्रतानो.