Atmadharma magazine - Ank 235
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

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आत्मधर्मः३१:
मंगल जन्मोत्सव अंक
बा... ल... वि... भा... ग
धर्मप्रेमी बालबंधुओ! ‘आत्मधर्म’ द्वारा आजे लगभग एक वर्ष बाद फरीने आपणे मळीए
छीए... तमे तो कदाच ‘आत्मधर्म’ ने भूली गया हशो पण ‘आत्मधर्म’ ना बालविभागमां तमने केम
भूलाय? पहेलांनी जेवा ज उत्साहथी तमे आत्मधर्मनो बालविभाग वांचजो. आजे तो वैशाख सुद
(सौराष्ट्र) ए प्रमाणे सरनामुं करवुं.
... चिदानंद वस्तुने भूलमा...
भूलमा भूलमा भूलमा रे...
तारी चिदानंद वस्तुने भूलमा...
परने पोतानी मानमा रे...
तारी चिदानंद वस्तुने भूलमा... (१)
तारामां शांत था... धर्मात्मा जीव था!
स्वरूप बहार तुं भ्रममा रे...
तारी चिदानंद वस्तुने भूलमा... भूलमा... (२)
सम्यग्द्रष्टि था... भ्रम मटाडी
आनंद स्वरूपे लीन था रे...
तारी चिदानंद वस्तुने भूलमा... भूलमा... (३)
आनंदनो दरियो... ज्ञानस्वरूपी
ऊछळे एमां तुं मग्न था... रे...
तारी चिदानंद वस्तुने भूलमा... भूलमा... (४)
आवी गयो छे अवसर रूडो...
शांतस्वरूपे तुं स्थिर था... रे...
तारी चिदानंद वस्तुने भूलमा... भूलमा... (प)
(–पू. बेनश्रीबेनलिखित समयसार–प्रवचनो
बाळकोनां पराक्रम