Atmadharma magazine - Ank 236
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

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: २०: आत्मधर्म: २३६
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टाईटल पेज बीजानुं अनुसंधान
स्वाध्याय मंदिरनुं वास्तु छे. खरुं आनंदनुं मंदिर तो आत्मा छे. चैतन्यनी शांतिना महेलमां
एक क्षण पण प्रवेश करे, –अरे, एमां प्रवेशवानी वार्तानुं प्रीतिथी पण प्रवेश करे, –अरे, एमां
प्रवेशवानी वार्तानुं प्रीतिथी श्रवण करे ने रुचिमां ल्ये ते पण मंगळ छे. भगवान अर्हन्तो अने सिद्धो
परमात्मा थया–पूर्ण ज्ञान–आनंदने पाम्या, तेमनी साथे आ आत्माने मेळवीने, विकारनी रुचि टाळवी
ने स्वभावथी रुचि करवी–श्रद्धा करवी–अनुभूति करवी ते अपूर्व चैतन्य वास्तु छे, ने ते मंगळ छे.”
गुरुदेवना श्रीमुखथी आवुं मांगळिक सांभळीने सौने प्रसन्नता थई हती त्यारबाद लाठीना संघे
भाईश्री नवनीतलालभाईनुं सन्मान कर्युं हतुं. आ प्रसंग७ज्ञे नवनीतलालभाई तरफथी रूा. २प०१)
लाठी–स्वाध्याय मंदिरने अर्पण करवामां आव्या हता. त्यारबाद भक्ति–भजननो कार्यक्रम हतो.
लाठीमां दि. जिनमंदिर सं. २००पमां थयुं हतुं. हाल तेना उपर नवुं शिखर थयुं छे. तेथी
जिनमंदिरना शिखरनी प्रतिष्ठानो उत्सव पण गुरुदेवनी छायामां ऊजवायो. ते प्रसंगे चैत्र वद १४ना
रोज अनेक विधि साथे “चोसठ ऋद्धिमंडल पूजन विधान” थयुं हतुं. आ मंडलविधान पहेली ज वार
थतुं होवाथी उत्साहपूर्वक थयुं हतुं. चैत्र वद अमासे ईन्द्रि प्रतिष्ठा, यागमंडल, जलयात्रा तथा कलश
वगेरेनी शुद्धिनो कार्यक्रम हतो. वैशाख सुद एकमनी सवारमां श्री जिनमंदिरना नुतन शिखर उपर
कलश तथा ध्वजारोहण थयुं हतुं. प्रथम पू. गुरुदेवे मंगलहस्ते शिखर, कलश तथा ध्वज उपर स्वस्तिक
कर्यो हतो. त्यारबाद मुंबई मंडळना प्रमुख भाईश्री मणिलाल जेठालाल शेठ अने तेमना बंधुओना
हस्ते कलशारोहण थयुं हतुं, तथा ध्वजारोहण भाईश्री चंपकभाई डगली तरफथी थयुं हतुं पछी
परमागम समयसारमां गुरुदेवना सुहस्ते स्वस्तिक करावीने, शेठश्री पुरणचंदजीना हस्ते
स्वाध्यायमंदिरमां तेनी स्थापना थई हती. अने पछी जिनदेव तथा जिनवाणीनुं पूजन थयुं हतुं. आम
आनंदोल्लासपूर्वक जिनमंदिरना शिखर–कळश–ध्वजनी प्रतिष्ठा तथा समयसारनी स्थापनानो उत्सव
ऊजवायो हतो. आ प्रसंगनी खुशालीमां भाईश्री मणीलालभाई तरफथी रूा. २प०१/– चंपकभाई
डगली तरफथी रूा. १प०१/– तथा पुरणचंदजी शेठ तरफथी रूा. २प०१/– अर्पण करवामां आव्या हता.
बपोरना प्रवचन पछी जिनेन्द्रदेवनी रथयात्रा धामधूमपूर्वक उत्साहथी नीकळी हती.
वैशाख शुद बीज आवी ने मंगल वधाई लावी... सवारना चार वाग्याथी चारेकोर
जन्मवधाईना आनंदनो कोलाहल थई रह्यो हतो. आजना कार्यक्रमनी मंगल शरूआतमां सौथी पहेलां
गुरुदेव जिनमंदिरे आवीने वहाला सीमंधरनाथने भेटया... जाणे लाडीलो पुत्र धर्मपिताना आशीर्वाद
लेवा आव्यो... आनंदथी दर्शन करीने भक्तिथी अर्घ चडाव्यो. त्यारबाद गुरुदेव सुशोभित मंडपमां
पधार्या... ने हजार जेटला भक्तो वाजां सहित आनंदथी जन्मवधाई गातां गातां गुरुदेवना दर्शने
आव्या मंडपमां अतिशय भीड वच्चे सौए श्रीफळ वगेरे भेट धरीने जन्मोत्सवनी मंगळ वधाई
लीधी... पू. बेनश्रीबेने उमंगथी गुरुदेवना जन्मोत्सवनी वधाई गवडावी अने पछी गुरुदेवनी स्तुति
थई. गुरुदेवे मांगळिक संभळाव्युं त्यारबाद जिनमंदिरमां उत्साहथी समूह पूजन थयुं. पूजन बाद
प्रवचन मंडपमां ‘आत्मधर्म’ ना “जन्मोत्सव अंक” नुं प्रकाशन थयुं... माननीय प्रमुखश्री
नवनीतभाई झवेरीए पू. गुरुदेवना करकमळमां ते अंक समर्पण कर्यो. पछी पू. गुरुदेवनुं