अषाड: २४८९ : ११:
भणकारा आपे. सामायिक पंचम गुणस्थाने होय छे ने तेना पहेलां चोथा गुणस्थाने सम्यक्त्व होय छे
सम्यकत्त्व वगर एटले आत्माना भान वगर साची सामायिक होय नहि. देहनी क्रियाने के शुभरागने
सामायिक माने के तेनाथी धर्म माने तो तेने सामायिकनी खबर नथी. स्वरूपनुं भान करीने तेमां
एकाग्र रहेतां रागद्वेष रहित समभाव ने अतीन्द्रिय आनंदनुं वेदन प्रगटे तेनुं नाम सामायिक छे.
प्रश्न:– एवी सामायिक न थाय त्यां सुधी तो शुभराग करवो ने?
उत्तर:– भाई, राग तो अनादिथी करतो ज आव्यो छे! आ तो जेने धर्म करवो होय तेने माटे
वात छे. धर्म माटे सत् विचारोने अंतरमां संघरवा जोईशे. पहेलां सम्यक् भूमिका तो नक्की करो.
आवो मनुष्य अवतार मळ्यो तेमां जन्ममरणना फेरा टळे एवी अपूर्व चीज शु छे ते समजवुं जोईए.
पछी समजणना प्रयत्ननी भूमिकामां पण ऊंची जातना शुभराग तो होय छे. पण ते रागथी
चैतन्यनी भिन्नता ज्यां सुधी न भासे त्यां सुधी धर्मनी शरूआत थाय नहि. शुभरागनी वात तो
अनादिथी सांभळतो ने आदरतो आव्यो छे, पण आ चिदानंदतत्त्व रागथी पार छे तेनी वात अपूर्व
छे.
आत्मानी आ वात अपूर्व छे. पात्र थईने जिज्ञासा करे तेने समजाय तेवी छे. जेने तरस लागी
होय, जेने आत्मानी भूख जागी होय तेने आ वात पचे एवी छे.
प्रश्न:– भेदज्ञान थयुं न होय पण तेनो प्रयत्न करतो होय तो तेना परिणाम केवा होय? तेनी
रहेणीकरणी केवी होय?
उत्तर:– एना परिणाममां सत्समागम अने सद्दविचार घूंटाता होय. आत्मा शुं छे, सत् शुं छे,
ज्ञानी केवा होय– एवा प्रकारना तत्त्वना सद्दविचार होय; परिणाममां परनी प्रीतिनो रस घणो मंद
थई जाय, साचा देव–गुरुनुं बहुमान जागे, कुदेवकुगुरु तरफनुं वलण छूटी जाय. स्वसन्मुख झूकवा जेवुं
छे– एम नक्की करीने वारंवार तेनो अंतर उद्यम करे. एने तीव्र अनीतिना के मांसाहारादिना कलुष
परिणाम छूटी ज गया होय. अंदरमां यथार्थ तत्त्वनुं वारंवार घोलन करतो होय. आवो जीव अंतर्मुख
थवाना वारंवारना अभ्यासवडे भेदज्ञान प्रगट करे छे.
प्रश्न:– आ आत्मा सर्वज्ञ भगवान जेवो छे – ए कई रीते?
उत्तर:– जेवा सर्वज्ञ भगवान छे, तेवो मारो आत्मा छे– एम ज्यां नक्की करवा जाय त्यां
पोतानी पर्यायमां तो सर्वज्ञपणुं नथी, सर्वज्ञपणुं तो शक्ति स्वभावमां छे; एटले पर्याय सामे जोये
सर्वज्ञ जेवो आत्मा ओळखातो नथी पण स्वभावसन्मुख थईने ज सर्वज्ञ जेवा आत्मानी ओळखाण
थाय छे. ने ए रीते स्वसन्मुख थाय त्यारे ज सर्वज्ञनी खरी ओळखाण थाय छे.
प्रश्न:– आत्मा कोने कहेवो?
उत्तर:– आत्मा संबंधी जेने शंका ऊठे छे ते पोते आत्मा ज छे. शंका ऊठे छे ते आत्माना
अस्तित्वमां ऊठे छे. आत्मा न होय तो शंका कोण करे? माटे जे शंका करे छे ने जे जाणनार तत्त्व छे ते
आत्मा छे. शंका कांई आ जड शरीरमां नथी, शंका करनारुं जे तत्त्व छे ते चैतन्य छे, ते ज आत्मा छे.
प्रश्न:– अत्यारे मोक्ष थाय?
उत्तर:– महाविदेह क्षेत्रमां अत्यारे पण जीवो मोक्ष पामे छे. आ क्षेत्रे अत्यारे पुरुषार्थनी
खामीने कारणे मोक्ष भले न थाय, पण अंतरमां आत्माना सम्यक् अनुभवथी एम नक्की थई शके छे
के हवे अल्पकाळमां आ आत्मा संपूर्ण मुक्त थशे. सम्यग्दर्शनादिरूप मोक्षनो मार्ग आ काळे थई शके
छे, तेने माटे