Atmadharma magazine - Ank 239
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

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भादरवो: २४८९ : १७ :
मुक्षुवीनो
जीमंत्र
शांति द्वारा वि

ज्ञानमूर्ति आत्मा शांत–अकषायस्वरूपी छे, क्रोध तेना स्वरूपनी चीज नथी; एटले,
क्रोधवडे शत्रु उपर मेळवातो विजय ए खरो विजय नथी, पण क्षमावडे क्रोध उपर मेळवातो
विजय ए ज खरो विजय छे. चैतन्यनो साधक मोक्षार्थी वीर, गमे तेवा प्रतिकूळताना पहाड
खडा थाय तोपण पोते पोतानी साधनाथी न डगे, शांतभावमां निश्चल रहे, क्रोधादि थवा न दे
के वेरबुद्धि जागवा न दे, तेमां तेनो खरो विजय छे. एवा विजयवंत वीरोथी जैनशासन शोभे छे.
भगवान पारसनाथ उपर कमठे उपसर्ग कर्यो.. पार्श्वनाथ प्रभु शक्तिमान हता के जो धारे तो
क्षणमात्रमां कमठना चूरा करी नांखे... परंतु नहि! चैतन्यना साधक ए संत पोतानी साधनामां अडोल
रह्या... कमठ प्रत्ये क्रोधवृत्ति तेमने जागी ज नहि; नेअंते शुं थयुं? शुं कमठ जीत्यो? –ना; भगवान
जीत्या. एनुं नाम शांतिद्वारा विजय.
जो भगवाने प्रतिकार वडे कमठ उपर विजय मेळव्यो होत तो ते विजयनी एवी जगप्रसिद्ध
महत्ता न होत–के जेवी महत्ता अडोल शांतिद्वारा मेळवेला विजयनी छे.
(१) एक राजा बीजा राजाने तलवारना बळे हरावीने विजेता बने छे.
(२) एक मुनिने कोई बाणथी वींधी नाखे छे, –सामर्थ्य होवा छतां मुनि तेनो प्रतिकार नथी
करता, ने शांतभावे प्राण छोडे छे.
–बेमां वीर कोण? ..... विजयी कोण?
कोना जेवा थवानुं आपणने गमशे?
(१) राजा तो क्रोध करीने कर्मथी बंधायो एटले कर्म पासे तेनी हार थई.
(२) अने मुनिए तो शांतिद्वारा कर्मोने भस्म करी नांख्या एटले कर्मो उपर ते विजेता
थया.
भगवान बाहुबलीए पहेलां देहबळे चक्रवर्ती उपर विजय मेळव्यो..... ने पछी
वैराग्यबळे विजय मेळव्यो. –परंतु तेमांथी वैराग्यबळे मेळवेलो विजय वधु बळवान हतो, अने
ए विजये ज बाहुबलीने जगप्रसिद्ध बनावीने जगतने वैराग्यनो सन्देश आप्यो. बाहुबलीए
मात्र देहबळे क्रोधथी चक्रवर्ती उपर विजय मेळवीने राज्य कर्युं होत तो ते विजयनी एवी