Atmadharma magazine - Ank 239
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

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भादरवो: २४८९ : १९ :
तीव्र वैराग्य
अने उत्तम क्षमा
(भावप्रभुत गा. १०६ थी ११०ना
प्रवचनमांथी तीव्र वैराग्यभावना अने
उत्तम क्षमाभावनानो सुंदर उपदेश)

अहीं भावशुद्धि माटे सरळ परिणामनो उपदेश छे. पोताना दोषने, गुणथी अधिक एवा
धर्मात्मा गुरु पासे सरळताथी, मानमरतबो मुकीने निवेदन करे, जे कांई दोष थयो होय ते मन–
वचन–कायानी सरळताथी प्रगट करी द्ये. पोतानी महत्ता छोडीने, बाळक जेवो सरळ थईने पोताना
दोषनी निंदा करवी ते भावशुद्धिनुं कारण छे. निष्कपटपणे गुरु पासे कहेवाथी दोष टळी जाय छे.
दुर्जनना वचनरूपी चपटी एटले निष्ठुर–कडवा आकरा वचन कहे छतां पण सज्जन धर्मात्मा
मुनि ते सहन करीने क्षमा राखे छे. स्वभावनी शांतिने साधनारा मुनिओ देह–वचननी ममताथी
रहित छे, अबंधय–अकषाय परिणामथी ते सहन करे छे. सामाना वचननी पकड नथी, ते पोताने
मान–अपमान के देहनुं ममत्व नथी. अरे, मारुं अपमान थयुं–एवुं शल्य पण नथी राखता. ने पोताने
कंई वचननी ममता नथी के आणे मने आम कह्युं माटे हुं तेने कंईक कहुं, जेथी बीजीवार कांई कहे नहीं.
अंदरमां चैतन्यना उपशमभावने साधवामां मशगुल मुनिओ जगतना वचनना कलेशमां पडता नथी,
एमने एवी नवराश ज क्यां छे के एवामां पडे. वचननो उपद्रव आवे के देह उपर उपद्रव आवे तोपण
मुनिओ शांतिथी चलित थता नथी, क्षमा छोडीने क्रोधित थता नथी. देहमां के वचनमां ममत्व नथी ते
शुद्ध परिणामथी सहन करी शके छे. अरे, अंदर जेने कषायनी आग सळगे छे ते घरमां रहे के वनमां
जाय पण तेने तो वनमां पण ला लागी छे. जे अंदर चैतन्यनी शांतिमां वर्ते छे तेने सर्वत्र शांति ज
छे, बहारनो उपद्रव आवे के देव आवीने उपसर्ग करे तोपण तेने शांति ज छे.
जगतमां राजपाट कांई शरण नथी. भयमां शरण एक चैतन्य निर्भयराम ज छे, तेना शरणे
कोई पण प्रतिकूळताने मुनिओ शांतिथी सहन करे छे. दुर्वचन सांभळता क्रोध करे तो ते महान शेनो?
जे मुनिवरो क्षमावडे क्रोधने जीते छे तेओ ज महान छे. हजारो योद्धाने जीतनारा योद्धा करतां क्रोधने
जीतनारा मुनिओ महान छे. अरे मुनि! दुष्ट जीवना वचनोने तुं तारा पापना नाशनुं कारण बनाव.
क्षमावंत मुनिवरोनी प्रशंसा देवो ने मनुष्यो करे छे. मुनिओ केवा छे?
भव–भोग–तन वैराग्यधार, निहार शिवतप तपत है...
अहा, भवथी उदास, शरीरथी उदास, संसारभोगोथी उदास... एवा वैराग्यवंत मुनिवरो
मोक्षने अर्थे चैतन्यने आराधे छे... एवा मुनिओ जगतमां पूज्य थाय छे.