प्रयाण करी रह्या छे ते जीवनध्येयमां गुरुदेवना उपदेशना प्रतापे संतोनी छायामां तेओ शीघ्र सफळ
थाओ–एम ईच्छीए छीए.
थईने अनेक जीवो संत केरी शीतल छांयडी मां आत्महितनो उद्यम करी रह्या छे. एवा ज उदे्शपूर्वक
एक साथे आठ–आठ कुमारिका बहेनोना आजीवन–ब्रह्मचर्यना प्रसंगो बनी रह्या छे. आजीवन
ब्रह्मचारी रहेवा उपरांत जे उदे्शथी ने जे लक्षथी आ करवामां आवे छे ते उदे्शनी ने ते लक्षनी खास
महत्ता छे, अने तेमांय ज्ञानीओना सत्संगना साक्षात् योगमां रहीने आ बधुंय थाय छे–ते सौथी मोटी
विशेषता छे.
ने सौ भादरवा सुद एकमनी राह जोता हता. एकमनी सवारमां जिनमंदिरमां ब्र. बहेनो सहित
समूहपूजन थयुं... त्यारबाद आजना प्रसंग निमित्ते शास्त्रजीनी रथयात्रा नीकळी जेमां बधा
बहेनो हाथमां शास्त्र लईने फर्या हता. रथयात्रा प्रवचनमंडपमां आवी हती ने गुरुदेवना प्रवचन
पछी ब्रह्मचर्यदीक्षानी विधि थई हती. प्रतिज्ञा लेवा माटे एक साथे आठ वीरबाळाओ ज्यारे
गुरुदेव समक्ष ऊभी थई ते वखतनुं द्रश्य वैराग्यप्रेरक हतुं. बधी बहेनोना वडीलोनी
अनुमतिपूर्वक गुरुदेवे ब्रह्मचर्यनी दीक्षा आपतां कह्युं के “आजे आ आठ दीकरीओ ब्रह्मचर्य ल्ये
छे ते सारूं काम करे छे. कुल ३७ बहेनो थया छे. १४ वर्ष पहेलां छ बहेनो थया हता, पछी सात
वर्ष पहेलां १४ बहेनो थया हता, वच्चे बीजा केटलाक बहेनोए बंधी लीधी हती, ने आजे आ ८
बहेनो वधे छे. आम १४ वर्षमां ३७ बहेनो बाळ ब्रह्मचारी थाय छे. आ बधुं आ बे बहेनोनो
(बेनश्रीबेननो) जोग छे तेने लईने छे. बधायना मातापितानी ने वडीलोनी संमतिपूर्वक आ
ब्रह्मचर्य देवाय छे.” – आम कहीने सभाना हर्ष वच्चे गुरुदेवे आठ कुमारिका बहेनोने
ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा करावी हती.
प्रसंगो संसारने चुनोती आपे छे के अरे जीवो! सुख विषयकषायोमां नथी, सुख तो
अध्यात्मजीवनमां छे... सुखने माटे विषयोने ठोकर मारीने, संतनी छायामां जई
अध्यात्मसाधनामां जीवनने जोडो.
एक बीजुं पण कारण छे, अने ते छे–पू. बे बहेनोनी शीतलछाया ने वात्सल्यभरी हूंफ! परमपूज्य
बेनश्री चंपाबेन तथा परमपुज्य बेन शांताबेन–ए बंने बहेनोनुं धर्म रंगथी रंगायेलुं सहज जीवन
तो नजरे जोवाथी ज जिज्ञासुने ख्यालमां आवी शके. ए बंने