[अमारुं जीवन संतोनी छायामां आत्महित साधवाना प्रयत्नमां ज वीते एवी भावनापूर्वक
प्रतिज्ञा लेवा माटे एक साथे आठ वीरबाळाओ ज्यारे गुरुदेव समक्ष ऊभी थई ते वखतनुं द्रश्य
वैराग्यप्रेरक हतुं... जे उदे्शथी ने जे लक्षथी आ करवामां आवे छे ते उदे्शनी ने ते लक्षनी खास महत्ता
छे, अने तेमांय ज्ञानीओना सत्संगना साक्षात्योगमां रहीने आ बधुं थाय छे–ते सौथी मोटी
विशेषता छे.)