उत्तर:– जीवे अनादिकाळथी सम्यग्दर्शन प्राप्त नथीं कर्युं.
प्रश्न:– ते सम्यग्दर्शन केम थाय?
उत्तर:– अरिहंत भगवान जेवा पोताना शुद्ध आत्माने जाणवाथी सम्यग्दर्शन थाय छे.
प्रश्न:– आत्माने जाणे तो ज अरिहंतने यथार्थपणे जाणे–एम न कहेतां, ‘अरिहंतने जे जाणे ते
जीवने प्राथमिक भूमिकामां विकल्प वखते केवुं ध्येय होय छे ते बताव्युं छे; अने ए रीते पहेलां ध्येयनो
निर्णय करीने पछी अंतर्मुख थईने पोताना आत्माने तेवो ज जाणे छे, एनुं नाम सम्यग्दर्शन छे. आ
रीते सम्यग्दर्शनना प्राथमिक अभ्यासवाळा जीवनी वातहोवाथी, अने ते जीव अरिहंतना द्रव्य–गुण–
पर्यायने लक्षमां लईने तेना द्वारा पोताना आत्मानो निश्चय करे छे तेथी, एम कह्युं के ‘जे जीव
अरिहंतने जाणे छे ते पोताना आत्माने जाणे छे.’
उत्तर:– ना; भगवान अरिहंतदेव सर्वज्ञ छे, ते सर्वज्ञना निर्णय वगर ज्ञानस्वभावी आत्मानो
उत्तर:– अरिहंतदेव पर छे–ए वात साची, पण आत्मानी पूर्णदशा तेमने प्रगटी गई छे एटले
आत्मा छे तेवो ज आ आत्मा छे, तेमां कांई फेर नथी. अरिहंतनो निर्णय कांई अरिहंतने माटे नथी
करवो, पण पोताना ध्येयनो निर्णय करवा जतां तेमां अरि–