Atmadharma magazine - Ank 241
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 15 of 42

background image
ः १२ः आत्मधर्मः २४१
जुओ भाई! जेने सम्यग्दर्शन प्रगट करवुं होय तेने ते क्यांथी आवे ने कई
रीते आवे तेनी आ वात छे. जेमां पूर्ण स्वभावसंपदा पडी छे तेमां नजर नाख.
बहारना वेगने पाछो वाळ्‌या विना अंतरनां वहेण प्रगटे नहि. अरे जीव! लपसणी
लीलफूग जेवो आ संसार तेमां तुं अशरणपणे झावां नाखी रह्यो छे; ध्रुवशरण तो
आत्मा छे, भाई! चैतन्यरसथी भरेलो तारो आत्मा ज तारुं शरण छे, तेमां नजर
नाख तो अतीन्द्रिय आनंदना अनुभव सहित सम्यग्दर्शनादि थाय.
आचार्यदेव आत्मानुं असाधारण स्वरूप ओळखावे छे के जेने जाणवाथी
सम्यग्दर्शनादि थाय ने जन्ममरण टळे. ‘अलिंगग्रहण’ना वीस बोलथी अद्भुत वर्णन
कर्युं छे, तेमांथी कोईपण बोल समजीने आत्माने पकडे तो तेमां बाकीना बधा बोल पण
समाई जाय छे.
बीजा बोलमां आचार्यदेव कहे छे के अतीन्द्रियज्ञानस्वरूप आत्मा इन्द्रियोवडे
जाणी शकाय तेवो नथी. इन्द्रियो तो परद्रव्य छे, ते परद्रव्यना ग्रहणवडे आत्मानुं ग्रहण
केम थाय? न ज थाय. इन्द्रियोथी पर थईने, चिदानंद स्वभावमां अंतर्मुख था, तो
आत्मा जणाय. स्वसन्मुख थईने आत्मानुं स्वसंवेदन करनारा मतिश्रुत ज्ञानमां पण
इन्द्रियोनुं अवलंबन छूटी गयुं छे, ने अतीन्द्रिय स्वभावनुं अवलंबन थयुं छे.
आ कुंदकुंद भगवाननी वाणी छे,–जेमने आ पंचमकाळमां साक्षात् तीर्थंकर
सीमंधरनाथनो भेटो थयो. अहो, आ पंचमकाळे भरतक्षेत्रना जीवने बीजा क्षेत्रना
तीर्थंकरनो सदेहे साक्षात् भेटो थाय–ए केवी पात्रता! ने भरतक्षेत्रना जीवोनां पण केवा
भाग्य!! चैतन्यनो महिमा घूंटता घूंटता यथार्थ निर्णय लईने स्वसंवेदनमां एम आवे
के ‘ अहो, मारी वस्तु ज परिपूर्ण छे’ त्यारे ते जीव पूर्णताने पंथे चडयो...तेने
पोतामां परमात्मानो भेटो थयो ने ते वीर थईने वीरना मार्गे वळ्‌यो. आ छे
महावीरनो सन्देश. ते संतोए झील्यो ने अंतरमां साध्यो.
भाई, बहारनुं बधुं एकवार भूली जा, इन्द्रियज्ञानने पण भूली जा, ने तारा
ज्ञानने अंतर्मुख कर तो तारो आत्मा स्वज्ञेय थाय. आ रीते आत्माने स्वज्ञेय
बनावतां ज अतीन्द्रिय आनंदनो अनुभव थाय छे. जड इन्द्रियोना अवलंबनवाळा
उपयोगमां एवी ताकात नथी के चैतन्यमूर्ति आत्माने स्वज्ञेय बनावी शके. एटले
रागथी के व्यवहारना अवलंबनथी आत्मा जणातो नथी. इन्द्रियोना अवलंबनथी
उपयोगने गमे तेटलो भमावे,