Atmadharma magazine - Ank 241
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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कारतकः २४९०ः १९ः
द्रव्य त्रिकाळ मंगळरूप छे. जे जीव केवळज्ञान पामनार छे तेनुं द्रव्य त्रिकाळ मंगळरूप छे.
भगवाननो आत्मा त्रिकाळ मंगळरूप छे; तेनुं द्रव्य तो त्रिकाळ मंगळरूप छे,
ज्यांथी मोक्ष पाम्या ते क्षेत्र पण मंगळ छे, आजे मोक्ष पाम्या तेथी आजनो काळ पण
मंगळरूप छे, ने भगवानना केवळज्ञानादिरूप भाव ते पण मंगळरूप छे,–आ रीते
भगवान महावीर परमात्मा द्रव्य–क्षेत्र–काळ ने भावथी मंगळरूप छे. भगवान मोक्ष
पामतां अहीं भरतक्षेत्रमां तीर्थंकरनो विरह पडयो. भगवाननुं स्मरण करीने
भगवानना भक्तो कहे छे के हे नाथ! आपे चैतन्यस्वभावमां अंतर्मुख थईने
आत्मानी मुक्तदशाने साधी ने एवो ज आत्मा वाणीद्वारा अमने दर्शाव्यो. एवा
स्मरणथी श्रद्धा–ज्ञाननी निर्मळता करे ते मंगळकाळ छे, ज्यां एवी निर्मळदशा प्रगटे ते
मंगळक्षेत्र छे. श्रद्धा–ज्ञाननो जे भाव छे ते मंगळभाव छे, ने ते आत्मा पोते मंगळरूप
छे. भगवाननो मोक्षकल्याणक उजव्या पछी इन्द्रो अने देवो नंदीश्वरद्वीपे जाय छे अने
त्यां आठ दिवस सुधी उत्सव करे छे.
आजे भगवानना निर्वाणनो दिवस छे ने आ अष्टप्राभृतमां पण आजे
निर्वाणनी ज गाथा वंचाय छे. कई रीते निर्वाण थाय अने केवा पुरुषने निर्वाण थाय ते
वात शीलपाहुडनी गाथामां कहे छे–
णाणेण दंसणेण य तवेण चरिएण सम्मसहिएण ।
होहदि परिणिव्वाणं जीवाणं चरित्तसुद्धाणं ।। ११।।
उपयोगने अंतरमां ऊंडो वाळीने चैतन्यना शांतरसने धर्मी अनुभवे छे. जेम
कूवामां ऊंडेथी पाणी खेंचे छे, तेम सम्यक् आत्मस्वभावरूप कारणपरमात्माने ध्येयरूपे
पकडीने, उपयोगने तेमां ऊंडो ऊंडो उतारीने पूर्ण शुद्धता थाय छे; आ रीतथी
परिनिर्वाण थाय छे. निर्वाण ए कोई बहारनी चीज नथी पण आत्मानी पर्याय परम
शुद्ध थई गई ने विकारथी छूटी गई तेनुं नाम ज निर्वाण छे.
भगवानने मनुष्यदेह हतो माटे निर्वाण थयुं के वज्रऋषभनाराचसंहनन हतुं
माटे निर्वाण थयुं–एम नथी. पण सम्यग्दर्शन–सम्यग्ज्ञान–सम्यक्चारित्र अने
सम्यक्तपथी भगवान मुक्ति पाम्या. आजे महावीर भगवान मुक्ति पाम्या, तेमनुं आ
शासन चाले छे. भगवान सम्यग्दर्शनपूर्वक दर्शन–ज्ञान–चारित्र अने तपथी
परिनिर्वाण पाम्या अने एवो ज उपदेश आपी रह्या छे. भगवान पोताना परम
आनंदमां महाली रह्या छे, अतीन्द्रिय आनंदनो अनुभव करी रह्या छे. आवी निर्वाण
दशानो आजनो मंगळ दिवस छे ने आ निर्वाणना उपायनी गाथा पण मंगळ छे. आ
रीते दिवाळीमां मांगळिक छे.