Atmadharma magazine - Ank 241
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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धन्य....ए.....धर्मप्राप्तिनो सुअवसर
भरतक्षेत्रनी आ चोवीसीना आद्य तीर्थंकरने धर्मप्राप्तिनुं रोमांचकारी द्रश्य.
पुराणनो आ एक परमपावन प्रसंग छे....बे संतोना परम अनुग्रह
द्वारा छए जीवो सम्यक्त्व पामी रह्या छे....सोनगढ–जिन–मंदिरमां ए द्रश्य
जोतां. अने पुराणमां ए प्रसंगनुं भावभीनुं वर्णन वांचतां आत्मार्थीना रोमे
रोमे हर्षोल्लास जागे छे....ए सम्यक्त्व दातारा ने ए सम्यक्त्व लेनारा–
बधाय प्रत्ये भक्तिथी हृदय नमी पडे छे. धन्य...ए धर्मप्राप्तिनो सुअवसर.
(आ प्रसंगनी आखीये सचित्रकथा योग्य समये प्रसिद्ध थशे.)