जोतां. अने पुराणमां ए प्रसंगनुं भावभीनुं वर्णन वांचतां आत्मार्थीना रोमे
रोमे हर्षोल्लास जागे छे....ए सम्यक्त्व दातारा ने ए सम्यक्त्व लेनारा–
बधाय प्रत्ये भक्तिथी हृदय नमी पडे छे. धन्य...ए धर्मप्राप्तिनो सुअवसर.
(आ प्रसंगनी आखीये सचित्रकथा योग्य समये प्रसिद्ध थशे.)