
परम आत्मसाधना अमारा हृदयमां कोतराइ गइ छे....कहानगुरुदेव साथे फरीथी
थनारी आपश्रीनी महा मंगल यात्रा सर्वे यात्रिकोना जीवनमां आत्महितनी प्रेरणानुं
एक अमरझरणुं बनी जशे...अने फरीफरीने–जीवननी प्रति क्षणे–आपनी पावन
ध्यानमुद्राना स्मरणमात्रथी पण यात्रानुं ए अमरझरणुं अमने शांति आपीने
संसारना तापथी बचावशे....ने आपना जेवुं मोक्षसुख पमाडशे. प्रभो! आपनी परम
ध्यानमुद्रा मौन होवां छतां जाणे के आपना आत्मप्रदेशोमांथी वैराग्यना रणकार ऊठी
रह्या छे के...
मने ज्ञायक भावनो प्यार..ए रे ज्ञायकमां हुं लीन थाउं...लीन थाउं..लीन थाउं रे...