Atmadharma magazine - Ank 242-243
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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ः १६ः आत्मधर्मः २४२–२४३
पोन्नूरनुं अभिनन्दनपत्र
सं. २०१प मां दक्षिणदेशनी तीर्थयात्रा दरमियान अनेक शहेरोनी जैन जनता
तरफथी पू. गुरुदेवने अभिनंदनपत्रो अर्पण थया हता. आ बधा अभिनंदनपत्रो
आत्मधर्ममां प्रगट करवानुं नक्की थयेलुं, ते अनुसार २६ जेटला अभिनंदनपत्रो
अत्यारसुधीमां प्रगट थया छे; बाकीनां पण क्रमशः प्रगट थशे. दक्षिण–तीर्थधामोनी
यात्रामां कुंदकुंदप्रभुनी पावन तपोभूमि पोन्नूरनी यात्राथी गुरुदेवने घणो ज प्रमोद
थयो हतो. आजे पण अवारनवार तेओश्री पोन्नूरने घणा ज भक्तिभावपूर्वक याद करे
छे–जाणे के अत्यारे ज कुंदकुंदाचार्यदेव त्यां विचरता देखाता होय!! गुरुदेव ज्यारे
पोन्नूरयात्रानुं भावभीनुं वर्णन करे छे त्यारे मुमुक्षु श्रोताओनी नजरसमक्ष
कुंदकुंदाचार्यदेवनो ताद्रश चितार खडो थइ जाय छे. जेम आपणने गुरुदेव साथे ए
पावनभूमिनी यात्राथी महान आनंद थयो, तेम ए तामिलदेशना जैनसमुदायने पण
कुंदकुंदाचार्यदेवना महान उपासक एवा कानजीस्वामीने पोताना देशमां पधारेला जोइने
घणो ज आनंद थयो हतो . तामिल अने गुजराती एकबीजानी भाषा समज्या वगर
पण गुरुदेव प्रत्ये केटलो महान प्रेम त्यांना समाजे बताव्यो छे ते तेओए आपेला
अभिनंदनपत्रमां देखाइ आवे छे–जे वांचता आजे पण आपणने आनंद थाय छे अने
जाणे के ए देश साथे आपणो चिरपरिचित संबंध होय एवी उर्मिओ उद्भवे छे.
गुरुदेव पोन्नूर पधार्या त्यारे (ता. १४–३–प९ना रोज) एक ज दिवसमां छ
अभिनंदनपत्र त्यांना जैनसमाजे अर्पण कर्या हता. तेमांथी पोन्नूर–जैनसमाजद्वारा
तामिलभाषामां अपायेला एक अभिनंदनपत्रनो गुजराती अनुवाद अहीं (सामा
पाने) प्रगट करवामां आव्यो छे. (तामिलभाषाना अभिनंदनपत्रनो नमुनो जोवो
होय तेमणे आत्मधर्म अंक १९९ मां जोइ लेवो.)