Atmadharma magazine - Ank 242-243
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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मागशर–पोषः २४९०ः १७ः
जैनधर्म जयवंत हो. सद्धर्म वृद्धिगत हो.
सोनगढ श्री कानजी स्वामीजी
श्री कुंदकुंदाचार्यना दिवंगतधाम पोन्नूरपहाड पर
ता. १४–३–प९ने शनिवारना रोज पधार्या ते समये पोन्नूरना
जैनसमाजद्वारा साचा प्रेमथी देवामां आवेलुं–
स्वागत पत्र
हे समयसार–व्याख्याता श्री कानजीस्वामी!
‘पधारो! पधारो!! पधारो!!!’–आ प्रमाणे महान प्रेमथी आपनुं स्वागत
करीए छीए. आपणा भारतदेशनो पुरातनधर्म–जे जैनधर्म–ते एक जमानामां अहीं
अद्वितीयपणे चमकी रह्यो हतो, श्री कुंदकुंदाचार्य, समन्तभद्राचार्य इलंगोवडिकल,
तिरुतक्कदेवर, भवनंदिमुनि, तोलामोलिदेवर जेवा जैनधर्मना स्तंभभूत आचार्यवरोए
जन्म लइने पवित्र करेला अमारा तामिलप्रांतमां पधारेला आपनुं श्रद्धापूर्वक स्वागत
करीए छीए.