
‘पधारो! पधारो!! पधारो!!!’–आ प्रमाणे महान प्रेमथी आपनुं स्वागत
अद्वितीयपणे चमकी रह्यो हतो, श्री कुंदकुंदाचार्य, समन्तभद्राचार्य इलंगोवडिकल,
जन्म लइने पवित्र करेला अमारा तामिलप्रांतमां पधारेला आपनुं श्रद्धापूर्वक स्वागत
करीए छीए.
Atmadharma magazine - Ank 242-243
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).
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