Atmadharma magazine - Ank 242-243
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 21 of 37

background image
ः १८ः आत्मधर्मः २४२–२४३
धर्मोपदेश देनारा हे धर्मात्मा!
आपे श्री कुन्दकुन्दाचार्यना समयसार तत्त्वग्रंथवडे नवो विकास, नवी
प्रतिभा, नवी स्थिति वगेरे प्राप्त कर्या छे. आपे भगवान ऋषभदेवना सद्धर्मनी
साची वस्तु जे समयसार छे–तेना ऊंडाणमां (हार्दमां) पहोंचीने तेनाथी
सम्यक्दर्शन प्राप्त कर्युं छे अने आपे पोते प्राप्त करेला सम्यग्ज्ञाननो आखा देशमां
प्रचार पण करी रह्या छो. आपनी प्रतिभा तथा प्रवचनशैलीथी हजारो लोको साचा
मार्ग पर आरूढ थइने सम्यग्ज्ञानी बनी रह्या छे. आपना आ चमत्कारयुक्त कार्यने
देखीने दुनिया चकित बनी रही छे.
तामिलनाडु पर पधारेला हे अद्वितीय नेता!
दक्षिण प्रान्तनी महत्ताना उदाहरणभूत कुन्दकुन्द नामना गाममां जन्मेला श्री
पद्मनंदी आचार्य ते गामना नामथी जेम प्रचलित थया, तेम ते महान आचार्यना
तपश्चरण करीने दिवंगत थवाने लीधे आ पहाड पण कुंदकुंदपहाड एवा नामथी प्रसिद्ध
थयो; तेथी पौराणिकताने पामेली तेनी गरिमा सर्वोपरि प्रतिष्ठित छे. तेनी आपने याद
देवडावतां अमे संतोष अनुभवीए छीए.
प्रसंशा अने निंदाने हसतां हसतां सहन करीने
धार्मिक कृत्य करनारा हे स्वामिन्
प्राकृतभाषामां समयसारादि महान ग्रंथराजोनी रचना करीने ख्याति
पामेला श्री कुन्दकुन्दाचार्यदेवे तामिलभाषामां पण ‘तिरूक्कुरल’ नामना एक
अद्वितीय ग्रंथनी रचना करी छे; तेनी महत्ता जाणीने बधा धर्मोवाळा तेने
पोतपोतानुं वेद कहे छे, एवा आ ग्रंथराजमां कह्युं छे के ‘पोते खोदी नाखनारने
पण सहनशीलतापूर्वक उपाडनारी जमीननी माफक कोइ पण अनुचित वातोथी
गालीप्रदान करनार प्रत्ये पण क्षमा करवी ते महान पुरुषोनुं कर्तव्य छे.”
–ते उत्तम नीतिना तो आप उदाहरण स्वरूप छो. हे स्वामी! आप जेम
समयसारनुं पठन–पाठन करो छो तेम श्री कुन्दकुन्दाचार्यना ‘तिरुक्कुरल महा
काव्य’नुं पण अध्यनन करीने आपना शिष्य समुदायने उपदेश देवा माटे अमे
प्रार्थना करीए छीए.