Atmadharma magazine - Ank 244
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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माह: २४९० आत्मधर्म : २५:
छे के भाई! आत्मामां जे मोक्षमार्गनो निर्णय थयो, साक्षात् अनुभव थयो, त्यां निःसंदेह
खातरी थई गई के बस, आवो ज मोक्षमार्ग त्रणेकाळे होय. अने वळी कुंदकुंदाचार्यदेवने तो
विदेहक्षेत्रमां साक्षात् तीर्थंकरभगवाननो भेटो पण थयो हतो, आठ–आठ दिवस सुधी भगवान
सीमंधर परमात्मानी सभामां दिव्यध्वनिनुं साक्षात् श्रवण कर्युं हतुं, ज्यां अनेक केवळज्ञानी
भगवंतो बिराजता हता, ज्यां गणधरदेवो अने मुनिवरोना टोळा आवा मोक्षमार्गने साधता
हता, –तेमने नजरे नीहाळीने, अने तेवो मोक्षमार्ग पोताना आत्मामां प्रगटावीने आचार्यदेव
कहे छे के भाई, मोक्षमार्ग तो आ शुद्ध ज्ञानमय आत्माना आश्रये रत्नत्रयनी उपासनाथी ज
थाय छे, –एम अमारा जोवामां आवे छे, बीजो कोई मोक्षमार्ग अमारा जोवामां आवतो नथी.