Atmadharma magazine - Ank 245
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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: VIII : आत्मधर्म पोन्नूर यात्रा–अंक
जय हो सीमंधरभक्त प्रभु कुंदकुंदनो!
जय हो पोन्नूरना ए पवित्र सन्तनो!
जय हो ए समयसार–दातारनो!
जय हो कुंद प्रभुना भक्त गुरुकहाननो!
जय हो पोन्नूर पावन तीर्थधामनो!

यात्रा पूरी थई....ने बीजे दिवसे सवारे–माहे सुद पुनमे–यात्रिकोए प्रस्थान
कर्युं. अहींथी जुदा पडती वखतनी यात्रिकोनी लागणी हृदयद्रावी हती. घणाखरा
यात्रिको अहींथी मद्रास थईने सीधा मुंबई तरफ गया. अने बाकीना यात्रिको गुरुदेव
साथे रह्या. गुरुदेवना यात्रासंघे पोन्नूर (बांदेवास) थी पाछा फरतां पहेलो सुकाम
पालमनेर कर्यो. पछी टूम्कुर, चित्तलदूर्ग अने धारवार मुकाम कर्यो. यात्राप्रवास घणो
आनंदकारी हतो. ठेरठेर रस्तामां गुरुदेवना दर्शन थता; एकवार पू. बेनश्रीबेने
कुंदकुंदप्रभुनी अद्भुत यादगार भक्ति करावी हती. धारवारथी नीपानी तरफ जतां वच्चे
दावनगीरमां यात्रासंघनी बीजी बसो मळेली, आ रीते रस्तामां एकाएक साधर्मीओनुं
परस्पर मिलन थतां सौ हर्षित थया हता. नीपानीथी त्रणेक माईल स्तवनिधि छे त्यां
पार्श्वनाथप्रभुना दर्शन कर्या. त्यारबाद कराड थईने पुना आव्या. पुनाथी नाशीक–
गजपंथा आव्या. ता. ४नी बपोरे मंदिरमां भक्ति वखते गुरुदेवे यात्राना मधुर
संभारणा याद कर्या. बीजे दिवसे उत्साहपूर्वक गजपंथासिद्धिधामनी यात्रा करी. गुरुदेव
साथे सिद्धिधामनी यात्रामां आनंद आव्यो. त्यारबाद वच्चे चालु प्रवासे मांगीतुंगी
सिद्धिधामना दर्शन करतां करतां जलगांव आव्या, ने त्यां यात्रासंघ समाप्त थयो. पू.
गुरुदेव जलगांवथी बडवानी, दाहोद, अमदावाद, सुरेन्द्रनगर थईने माह वद अमासे
राजकोट पधार्या. त्यार पछीना समाचार “विविध समाचार” मां वांचवा विनंति छे.
जय बाहुबली
जय कुंदकुंद