वी र नो मा र्ग
वीर मार्गने साधवा
नीकळ्यो ते रागनी
सामे जोवा ऊभो
न रहे...
परणीने आव्यो त्यां
लडाईनी हाक पडी....
माताए तिलक करीने
विदाय आपी; रजपू–
ताणीए पण बहा–
दूरीथी विदाय आपी.
पण....!
पाछुं वळीने स्त्री
सामे जुए छे.....
[अहीं आ चित्रकथामां स्त्री छे ते रागनुं प्रतिक छे; ते रागनी रुचि राखीने–रागनी
सन्मुखता राखीने–मोक्षमार्ग साधवा जई शकाय नहि; रागनी रुचिने छेदीने ज
मोक्षमार्ग सधाय छे–एवा मार्गनी प्रेरणा जिनवाणीमाता जगाडे छे.]